आज हम आपको मानव पाचन तंत्र की परिभाषा के बारे में जानकारी देंगे यह हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण भाग है जिसके बारे में आपको पता होना जरुरी है

हम पूरा दिन अलग अलग कार्य करते है जिसे हम थक जाते है और हमे एनर्जी की जरूरत होती है और उस एनर्जी के लिए हम खाना खाते है जिसे हमे ताकत मिलती है

इसके दोरान खाने को एनर्जी में बदलने के लिए मुख्या कार्य करता है हमारा पाचन तंत्र , जब हम कुछ खाते है तो वह खाना सिंपल काम्प्लेक्स में टूटता है खाने के छोटे छोटे टुकड़े होते है

उसके बाद खाने के यह छोटे टुकड़े हमारे खून में घुल जाते है और इसको हमारा शरीर न्यूट्रीसन के रूप में इस्तेमाल करता है और इस न्यूट्रीसन को हम फैट , एमिनो एसिड , विटामिन्स कहते है

हम जो खाना खाते है उसका टूटना जरुरी है तभी वह खाना शरीर में एब्जोर्ब हो पाएगा खाए गए खाने को तोड़ने का काम दो तरीके से होता है मैकेनिकल और कैमिकल

मैकेनिकल तरीके से खाने को तोड़ने का काम हमारे पाचन तंत्र के अंग करते है जैसे दांत , जीभ आदि और कैमिकल तरीके से खाने को तोड़ने का काम एंजाइम निकालने वाले ग्लैंड करते है

मानव पाचन तंत्र की परिभाषा

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आपको पता होगा की मानव का पाचन तंत्र बहुत सी खाने की नाली से बनी होती है और आपस मैं मिले होते है आहार नाल जो है वो मुखगुहा (buccal cavity ) पेट (stomach) छोटी आंत (small intestine ) तथा बड़ी आंत (large intestine) की बनी होती है

लीवर अगनाश्य (pancreas) आहारनाल से जुडी पाचन ग्रिथिया है आपके जीभ पर जो लार होती है वो टायलीन एगजायिम के कारण भोजन 30% लगभग माल्टोज शुगर मैं बदल जाती है

पेट की भिती मैं उपस्थित जठर ग्रंथिया जठर रस (gastric juice) (Ph=1-3.5 ) स्थावण(place) करती है जठर रस (gastric juice) मैं 97%-99% पानी होता है और

इसके अतरिक शलेशम 0.2% से 0.5% हाईडोक्लोरिन अम्ल ,पेपसन , जठर लाईपेस तथा रेनिन आदि एग्जाईम होते है और जवान मैं रेनिन का आभाव होता है

और रेनिन पोरेनीन के रूप मैं स्थारिव होता है प्रोरेनिन HCI के H से क्रिया करके सक्रिय रेनिन मैं बदल जाता है और एक्टिव रेनिन दूध की केसीन प्रोटीन को अघुलनशील कैल्शियम पैराकेसीनेट मैं बदल देता है

इससे दूध को दही के रूप मैं बदला जाता है पितरस (BILE juice) एक हल्का छारिया होता है तथा इसका ph अनुमान 7.7 होता है पित मैं आसपास ,92% पानी ,6% पित लवण ,0.3% पित वर्णक , 0.3% से 0.9% कोलेस्ट्रोल और 0.3% लेसीथिन और 0.3% से 1% वसा के अम्ल होते है

पित वर्णक बिलीरुबिन और बिलीवडीन होते है इन्ही के कारण पित का रंग हल्का हरा और पीला होता है पित लवण आमतोर पर सोडियम टारोकोलेट और सोडियम ग्लोईकोलेट होते है पित लवण भोजन की वसा का इम्लसीकरण करते है

पाचन तंत्र के प्रमुख अंग

दो तरह के मुख्या अंग होते है जो हमारे पाचन तंत्र में आते है पहले अंग आहार नली (alimentary canal) में आते है और दुसरेअंग सहायक अंगों (accesory organs) में आते है आपको निचे पाचन तंत्र के अंग के बारे में देखने को मिल जाएगा

आहार नली (alimentary canal)

आहार नली के सभी अंग के बारे में निचे देखने को मिल जाएगा जो इस प्रकार है

(1) . मुहँ (mouth)

मुहँ को ओरल केवेटी भी कहते है और हमारे मुहँ का मुख्या कार्य है खाने को खाना मतलब खाने को शरीर मुहँ में डालना हमारे मुहँ के अंदर अन्य अंग होते है जैसे दांत , जीभ और लार ग्रंथि इसमें हमारे दांतों का मुख्या कार्य खाने को चबाना होता है

उसके बाद मुहँ में जीभ होती है जो खाने को हिलाने का कार्य करती है इसी के साथ जीभ चबाए हुए खाने को लार के साथ मिक्स कर देती है उसके बाद जीभ सवाद को भी पता करती है उसके बाद है लार ग्रंथि जो मुख्या लार को निकालती है जिसे खाना लार भी भीगता है

(2) . वक्ष गुहा (pharynx)

जब हम खाना खा लेते है और जब उस खाने को हम निगलते है तो वह खाना वक्ष गुहा में जाता है वक्ष गुहा का मुख्या कार्य है की यह खाने को आगे वाले अंग को भेजता है

(3) . घेंघा (oesophagus)

घेंघा को खाने की नली भी कहते है घेंघा खाने को मुख्या रूप से पेट तक लेकर जाने का कार्य करता है घेंघा की लम्बाई 25cm होती है

(4) . आमाशय (stomach)

घेंघा से खाना हमारे आमाशय में आता है और आमाशय j के अकार का होता है और आमाशय थिक एलास्टिक मसल्स से बना होता है हमारे आमाशय के वाल्व सेक्रेटे गैस्ट्रिक जुस्स को निकालती है जैसे एचसीएल , म्यूकस , गैस्ट्रिक एंजाइम

आमाशय के कुछ कार्य होते है आमाशय खाने को देर तक स्टोर करके रखता है उसी के साथ आमाशय खाने को पार्शियल पचाता है परन्तु पूरी तरह से नहीं पचा पाता है उसके बाद आमाशय खाने को छोटे छोटे टुकडो में तोड़ता है उसके बाद उस खाने में लार और एंजाइम मिक्स होते है

(5) . छोटी आंत (small intestine)

आमाशय से खाना छोटी आंत में आता है और खाना मुख्या रूप से छोटी आंत में ही पचता है पुरे तरीके से छोटी आंत मुख्या 6 से 9 मीटर के पाइप के जैसा होता है और यह सबसे लम्बा अंग होता है छोटी आंत के तीन भाग होते है पाचनांत्र (duodenum) मध्यान्त्र (jejunum) लघ्वान्त्र (ileum)

पाचनांत्र से हमारे मुख्या तीन अंग जुड़े होते है जो पाचनांत्र में जूसेस को भेजने का कार्य करते है वह तीन अंग है लिवर , गाल ब्लैडर , पैंक्रियास यह तीनो अंग पाचनांत्र में होने वाले पाचन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है लिवर एक जूस को निकालता है जिसे bile कहते है यह फैट को तोड़ता है

उसके बाद यह bile गाल ब्लैडर में जाता है और वहा जमा हो जाता है गाल ब्लैडर लिवर के पिच्छे की तरफ होता है जब bile की जरूरत होती है तो यह पाचनांत्र में चला जाता है इसी के साथ पैंक्रियास भी जूस को निकालता है जैसे pancreatic amylase , typsin , lipase और यह जूस भी जरूरत के समय पाचनांत्र में जाते है

(6) . बड़ी आंत (large intestine)

बड़ी आंत को कोलन भी कहते है और यह 1.5 मीटर लम्बा होता है बड़ी आंत को मुख्या 4 भाग में बांटा गया है आरोही बृहदान्त्र , अनुप्रस्थ बृहदान्त्र , उतरते बृहदान्त्र , सिग्मॉइड कोलन बड़ी आंत में पाचन बिलकुल भी नहीं होता है बड़ी आंत का मुख्या कार्य पानी को एब्जोर्ब करना है

(7) . मलाशय (rectum)

बड़ी आंत से बचा हुआ खाना जिसका कोई काम नहीं होता है वह मलाशय में आता है जिसे हम स्टूल भी कहते है और यह मलाशय में तब तक रहता है जब तक यह बाहर नहीं निकल जाता है

(8) . गुदा (anus)

मलाशय से स्टूल बाहर आने का काम गुदा के द्वारा होता है यह हमारे पाचन तंत्र का आखरी अंग होता है इसके द्वारा बचा खाना स्टूल के रूप में बाहर निकलता है

इस प्रकार सभी अंग खाने को पचाने का कार्य करते है और हमारा पाचन तंत्र कार्य करता है

पाचन तंत्र के रोग

आपको हम पाचन तंत्र के रोग के बारे में बताएगे जिसके बारे में आपको निचे देखने को मिल जाएगा जो इस प्रकार है जानिए

(1) . इनगुइनल हर्निया

जब आतंरिक अंग का कोई हिसा असामान्य रूप से बढ़ जाता है और बाहर की तरफ दिखाई देने लगता है तो उसे हर्निया कहते है और इनगुइनल हर्निया मुख्या तब होता है जब आंत का कोई हिसा कमजोर जगह से बाहर की तरफ निकल जाता है तब इनगुइनल हर्निया होता है

(2) . बाउल ऑब्स्ट्रक्शन

हमारा खाना 25 फिट की आंत में से होकर गुजरता है और यह चलता रहता है परन्तु अगर किसी कारण आंत में रूकावट हो जाती है तो खाने की गति रुक जाती है जब छोटी या बड़ी आंत में रूकावट हो जाती है तो उसे ही हम बाउल ऑब्स्ट्रक्शन कहते है

(3) . इर्र‍िटेबल बाउल स‍िंड्रोम

इर्र‍िटेबल बाउल स‍िंड्रोम आम समस्या है जो मुख्या बड़ी आंत को प्रभावी करता है जिसे पेट में दर्द , कब्ज , दस्त की समस्या होती है इर्र‍िटेबल बाउल स‍िंड्रोम के दोरान आपको ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है

(4) . लैक्टोज इंटॉलरेंस

लैक्टोज इंटॉलरेंस पाचन से जुडी समस्या होती है इसके दोरान हमारा शरीर लेक्टोज को पचाने में असमर्थ होता है लेक्टोज एक शुगर होता है जब हम कुछ डेयरी उत्पाद खाद्य प्रदार्थ खाते है तो दस्त , गैस , पेट फूलने की समस्या उत्पन होती है

(5) . पेट का अल्सर

पेट में छाले होने की स्तिथि को पेट का अल्सर कहते है इसमें पेट में दर्द होता है जो दर्द आपको नाभि से लेकर छाती तक महसूस होता है इसके साथ ही भूख कम लगना , उलटी जैसी समस्या होती है

यह पाचन तंत्र के रोग है

निष्कर्ष

आशा करते है की आपको मानव पाचन तंत्र की परिभाषा के बारे में पता चल गया होगा और मानव पाचन तंत्र के रोग के बारे में पता चल गया होगा अगर आपको पाचन तंत्र से जुड़ा कोई रोग होता है तो आपको डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए क्युकी समस्या ज्यादा हो सकती है

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जानिए कुछ सवालो के जवाब

Q . भोजन पेट में कितने घंटे में पचता है ?

ans . भोजन पेट में पचने में 24 से 72 घंटे लगते है |

Q . शरीर में पाचन कहाँ से शुरू होता है ?

ans . शरीर में पाचन मुख्या रूप से मुहँ से शुरू होता है |

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