आज हम बात करने जा रहे है खाता बही किसे कहते हैं आखिर खाता बही को क्यों बनाया जाता है और ये क्यों जरुरी होता है आये जानते है आप सभी को पता है की सभी प्रकार के लेन देनो का लेखा का लेखा करना एक बिज़नेसमैन के लिए जरुरी होता है और उसे देखने के लिए खाताबही को बनाया जाता है
सबसे पहले हम सभी एंट्री को जर्नल बुक मैं करते है आपके पास जितनी भी जर्नल बुक है उस मैं सभी आपके लेनदेनो को लिख लेते है या नोट कर लेते है जब आप जर्नल बुक तैयार करते है तो कोई भी व्यपारी उस जर्नल बुक से ये पता नही कर सकता है की किस से हमे कितना पैसा लेना है या देना है मेरा स्टॉक कितना है और कितना बिक चूका है
जब तक आप इन सभी लेनदेनो का खाता अलग नही बना लेते है यही खाता बनाने के लिए खाताबही का इस्तेमाल किया जाता है और इसमें व्यक्तिगतखाता , वास्तविक खाता ,और नाममात्र खाता अलग अलग खोले जाते है
खाता बही किसे कहते हैं-खाताबही की परिभाषा
खाताबही ऐसी पुस्तक होती है जिसमे व्यापारी के द्वारा किये गए सभी लेनदेन को अलग अलग खाता बना कर उसमे पोस्टिंग की जाती है उसे ही हम खाताबही कहते है
खाता बही की उपयोगिता या महत्व क्या है
खाता भी की आवश्यकता क्यों है और इसका क्या महत्व होता है इसको जानेगे
खाताबही मैं हमे ये पता चल जायेगे की हम ने इस तारीख से इस तारीख तक कितना माल बेचा या खरीदा है
किन किन व्यपारी को कितना भुगतान करना है और किन किन कस्टमर से कितना पैसा आना है
खर्च के खाते से खर्च का पता चल जाता है
कहा कहा से इनकम हुयी है इससे हमे पता चल जाता है
हमारे पास कितनी सम्पति है और कितने दायित्व है और पूंजी मैं परिवर्तन का पता चल जाता है
हमे ये सभी सूचनाये जर्नल बुक से नही प्राप्त किया जा सकता है एक जैसी लेन देनो का लेखा एक स्थान पर करने की बजाय सभी लेन देनो को डेट के अनुसार होता है मान लिया हम ने मोहन से कितने पैसे आये है तो हमे सभी डेट के अनुसार मोहन को दुदना होगा ये काफी मुश्किल काम होता है पर अगर हम ledger यानी खाताबही बना लेते है तो हमे बस मोहन का खाता खोलना है और हमे मोहन से कितने पैसे लेने है या देने है सभी का पता चल जायेगे
खाता बही के लाभ क्या है
खाताबही एक बहुत ही किताब है इसके बीना एकाउंटिंग की कल्पना भी नही की जा सकती है उसको बनाने के क्या लाभ है आये जानते है
अपने खतो के बारे मैं जानकारी – खाताबही बनाने के ये सब से बड़ा लाभ है की आप अपने सभी खातो का आसानी से अध्ययन कर सकते है उनके रिजल्ट के बारे पता कर सकते है
तलपट बनाने मैं सहायक – खाताबही से हम तलपट को आसानी से बना सकते है हम जल्दी जल्दी अपने खाते के शेष से तलपट तैयार कर सकते है
अंतिम खाता बनाने मैं सहायक – हम खाताबही से आसनी से अंतिम खाते को तैयार कर सकते है
जर्नल की कमियों को दूर करना – माना हम ने जर्नल बुक मैं गलत एंट्री या पोस्टिंग कर दिया है तो खाते मैं जाकर ये आसानी से पता चल जायेगा की ये पोस्टिंग गलत है
वितीय स्थिति का ज्ञान – हमे खाता भी से वितीय स्थिति का ज्ञान हो जाता है की हमारी फाइनेंसियल स्थिति कैसी है
खाता बही का पारूप (format of ledger ) क्या है
खाता बही एक रजिस्टर जैसा होता है उसमे दो भगा होते है इसका बाया हिस्सा डेबिट भाग तथा दाया हिस्सा डेबिट भाग कहलाता है और सभी भाग मैं चार खाने होते है उसमे इस प्रकार का पारूप होता है
तिथि(date) सबसे पहला खाना जो है वो डेट का होता है जो डेट जर्नल बुक मैं लिखी होती है वो लिखना होता है
विवरण (particular) इस खाने मैं खतो का नाम लिखा होता है वैसे कहे तो इस खाने मैं वो खाता लिखा जाता है जो डेबिट हो या क्रेडिट होता है डेबिट के लिए हम TO का इस्तेमाल करते है और क्रेडिट के लिए BY शब्दों का प्रयोग किया जाता है
जर्नल फोलियो नंबर – इसमें हम वो नंबर डालते है जो हमारे जर्नल बुक मैं लिखा होता जहा से देख कर हम पोस्टिंग करते है या खैतानी करते है
राशि (AMOUNT) इस खाने मैं हम लेन देन के राशी को लिखते है
खाता बही के नियम क्या है या खैतानी करने के नियम या पोस्टिंग करने के नियम
जर्नल बुक या अन्य सहायक बहियों से से जब हम पोस्टिंग या खैतानी या एंट्री को ledger या खाताबही मैं लिखते है तो उस प्रोसेस को हम खैतानी कहते है और खाताबही मैं पोस्टिंग या खैतानी या एंट्री करते समय हमे इन बातो का ध्यान रखना जरुरी है
हमे खाताबही मैं फर्म का नाम या किसी भी कम्पनी का नाम ledger या खाताबही मैं लिखते समय उसे सेंटर मैं लिखे ताकि खाताबही खोलते समय पार्टी का नाम आसानी से पता कर सके और किसी भी फर्म को खाताबही मैं सर्च करने को आसन बनाता है
खाते के डेबिट पक्ष मैं उपर की और कार्नर मैं DR तथा क्रेडिट पक्ष मैं उपर की और कार्नर मैं CR लिखा जाता है
खाता जिसमे खैतानी की जानी है यदि उसके जर्नल मैं डेबिट है तो खाताबही मैं उसकी एंट्री डेबिट पक्ष मैं की जानी है जिसमे लिए जहा पर विवरण खाने मैं उस खाते का नाम लिखा जाना जरुरी होता है जो जर्नल पोस्टिंग मैं क्रेडिट पक्ष मैं लिखा हुआ हो
खाता जिसमे खैतानी की जानी यदि वो जर्नल बुक मैं क्रेडिट है तो खाताबही मैं उसकी खैतानी क्रेडिट साईट ही की जाती है जिसके लिए विवरण खाने में उस खाते का नाम लिखा जाता है जो जर्नल बुक मैं डेबिट साईट लिखा हुआ हो
सभी डेबिट एंट्री के साथ हमे TO का इस्तेमाल करना होगा और सभी क्रेडिट एंटी के लिए BY का इस्तेमाल करना होगा
एक खाते के डेबिट साईट मैं लिखी गयी अमाउंट को दुसरे खाते के क्रेडिट साईट मैं लिखी गयी अमाउंट के बराबर होनी चाहिए
सभी व्यक्तिगत खातो के साथ AC का इस्तेमाल करना जरुरी है
जर्नल बुक से खाताबही मैं खैतानी या पोस्टिंग कैसे करते है
मान लिया चंदन ने 1 जनवरी 2020 को 980000 लगाकर बिज़नेस स्टार्ट किया है तो इसको जर्नल से उठा कर खाताबही मैं कैसे करेगे आये जानते है
जर्नल बुक
DATE | PARTICULAR | L.F | DR AMT | CR |
01/01/2020 | CASH A/C DR | 980000 | ||
TO CAPITAL A/C | 980000 |
जर्नल बुक से खाताबही में खैतानी इस प्रकार किया जाता है
DR | CASH ACCOUNT | CR | |||||
DATE | PARTICULAR | J.F | AMT | DATE | PARTICULAR | J.F | AMT |
01-2020 | TO CAPITAL A/C | 980000 |
DR | CAPITAL A/C | CR | |||||
DATE | PARTICULAR | J.F | AMT | DATE | PARTICULR | J.F | AMT |
01-2020 | BY CASH A/C | 980000 |
खाताबही मैं खातो को किस क्रम में लिखा जाता है
खाताबही में बहुत खाते होते है जो खाताबही मैं खोले जाते है पर उन खाते को क्या संख्या दिया जाता है ये भी जानना जरुरी है
अल्फाबेटिकल क्रम में- इसमें खाताबही मैं खाता अग्रेजी क्रम मैं खोला जाता है जैसे ABC आदि के अनुसार दिखाया जाता है यदि दो या दो से अधिक खाते एक जैसे नाम नाम के है इनका बटवारा किसी और तरीके से भी किया जा सकता है
खाते किस प्रकार के है – हम इस आधार पर भी खातो को क्रम किया जा सकता है की वो खाता किस प्रकार का है जैसे व्यक्तिगत खाते ,वास्तिक खाते ,नाममात्र खाते इस प्रकार हम अलग अलग खातो को पहचान कर हम उस खातो के अनुसार लिख सकते है
खातो को कैसे बद करे और उनका शेष कैसे निकाले
हमे खातो का शेष निकालना बहुत जरुरी है क्युकी किसी भी बिज़नेस के लिए अंतिम खातो का बनाना बहुत ही जरुरी होता है उसके लिए खातो का डेबिट तरफ और क्रेडिट तरफ का शेष को निकालना बहुत ही जरुरी होता है जो डेबिट और क्रेडिट के शेष मैं अंतर आता है वो हमारा शेष निकल जाता है
यदि हमारा डेबिट तरफ का क्रेडिट तरफ से ज्यदा हो तो तो हमारा डेबिट शेष निकल जाता है और यदि हमारा शेष क्रेडिट तरफ का ज्यदा है और डेबिट का कम तो हमारा क्रेडिट शेष निकल जाता है और यदि डेबिट और क्रेडिट शेष दोनों बराबर है तो हमारा खाता को लेनदेन वही पर बंद किया जा सकता है क्युकी हमारा खाता nil यानी शून्य हो चूका है
पर अलग लगा खातो का शेष निकालने का नियम भी अलग अलग होता है
व्यक्तिगत खातो को बंद करना और उनका शेष निकालना (closing balancing of personal accounts) पर्सनल अकाउंट का शेष निकालते समय हमे इन बातो का ध्यान रखना बहुत जरुरी है की हमे किस कस्टमर से कितना अमाउंट को लेना है और किस कस्टमर को कितना अमाउंट देना है
और यदि एक खाते का डेबिट शेष है तो इसका मतलब क्या है इसका मतलब यही है की हमे उस कस्टमर से पैसा लेना है यदि किसी कस्टमर का क्रेडिट शेष है तो वो हमे यही बताता है किस इस कस्टमर को हमे इतना पैसा देना है
और यदि डेबिट तरफ का शेष क्रेडिट शेष से अधिक है तो जो डेबिट शेष आयेगा तो हमे उस राशी को राशी के खाने मैं लिख देगे और विवरण खाने मैं हमे by balance c/d लिखकर दिखा दिया जाता है
जब हमे अगले महीने मैं उस शेष को आगे ले जाया है तो उस खाते का वो ओपनिंग balance हो जाता है और हम उसे अगले महीने की पहली तारीख को डेबिट तरफ हम TO BALANCE B/d लिखकर अंतिम शेष को ओपनिंग शेष के रूप मैं आगे ले जाया जाता है
और इसी प्रकार जब व्यक्तिगत खाते के क्रेडिट साईट का जोड़ डेबिट साईट से अधिक हो तो अन्तर की राशि को हम डेबिट साईट में TO balance c/d लिखकर दिखा दिया जाता है और बाद मैं दोनों साइड का जोड़ करके खातो को बंद कर दिया जाता है और अगले महीने की पहली तारीख को खाते के क्रेडिट साइड में by balance b/d को लिखकर अंतिम शेष को हम ओपनिंग शेष के रूप में आगे ले जाया जाता है
हम इसको इस प्रकार समझते है
2020 | particular | AMT |
5 मार्च | नितेश से माल खरीदा | 480000 |
PURCHASE A/C DR | 480000 |
TO ANIL AC CR | 480000 |
PARTICULAR DR | AMOUNT | PARTICULAR | AMT CR |
TO BALANCE C/D | 5200000 | BY PURCHASE A/C | 480000 |
BY BALANCE B/D | 40000 |
इसमें आप जर्नल बुक नंबर और date का कॉलुम बना लेना है
वास्तविक खाता कैसे बंद किया जाता है और उनका शेष कैसे निकाला जाता है ( closing and BALANCING of REAL ACCOUNTS-
सभी asset या सम्पतियो के खातो को हम वास्तविक खाता में लेते है इसमें मशीनरी प्लांट फर्नीचर भूमि और भवन आदि खातो को लिया जाता है हम वास्तविक खातो की तरह ही हम सम्पति खातो को बंद किया जाता है इसमें हमे खास बात का ध्यान देना है यदि सम्पति खाते मैं डेप्रिसिएशन दिया हो तो हम खाते के शेष डेप्रिसिएशन को घटाकर निकाला जाता है
आपको एक बात का ध्यान रखन है रोकड़ खाता और सम्पति खाता का शेष हमेशा डेबिट होता है
नाममात्र खातो को कैसे बद किया जाता है और उनका शेष कैसे निकाला जाता है (closing and BALANCING of NOMINAL account
बिज़नेस मैं सभी खर्चो तथा इनकम के सभी खातो को नाममात्र खातो में गिना जाता है और वर्ष के अंत मैं भी इन खातो का कोई शेष नही होता है क्युकी ये खर्चो और सेवाओ का खाता होता है और इनका भुगतान किया जा चूका है इसलिए इनका शेष निकालना जरुरी नही है
किन्तु sale का खाता PURCHASE का खाता PURCHASE रिटर्न का खाता , sale रिटर्न का खाता ,इन सभी खातो को goods खाता मैं सम्लित किया जाता है और इन सभी खातो के शेष को हम साल के अंत मैं TRADING अकाउंट में ट्रान्सफर किया जाता है और उसे बंद कर दिया जाता है
और खर्चे जो goods या माल बनाने के लिए लगे है उन्हें भी हम TRADING ac में ट्रान्सफर कर दिया जाता है और इसके लिए इन खातो के क्रेडिट साइड में by TRADING a/c लिखकर बंद कर दिया जाता है और जो बचे हुए खाते है उन्हें हम profit and loss के क्रेडिट साइड मैं by profit & loss a/c लिखकर बंद कर दिया जाता है
इसी प्रकार सभी आयो के खातो को प्रॉफिट और लोस खाते में ट्रान्सफर कर दिया जाया है इसके लिए इन खातो के डेबिट साइड मैं हम TO PROFIT & LOSS A/c को लिखकर इन्हें बंद कर दिया जाता है