हमारे बीच और बीमा तब होता है जब एक पक्षकार प्रस्ताव करता है और दूशरा व्यक्ति बीना शर्त के उसे स्वीकार कर लेता है ये बीमा कम्पनी और बीमित व्यक्ति के बीच होती है और वो बीमा के बदले बीमा कम्पनी को एक निश्चित प्रीमियम भरने के लिए तैयार हो जाता है
और बीमा कम्पनी किसी घटना के घटने पर पर वो बीमित व्यकित को एक निर्धारिक रकम के भुगतान हेतु सहमत होती है और प्रस्ताव द्वारा बीमा कम्पनी को भुगतान किया गया प्रीमियम प्रतिफल होता है
नाबालिक और अस्वस्थ चित के माने गए व्यक्ति तथा विधि द्वारा आरोग्य घोषित व्यक्ति बीमा सविदा नही कर सकते है
बीमा के आधारभूत सिद्धांतों का वर्णन एलआईसी का नियम क्या है?
1 . प्रस्ताव एव स्वीकृति ( Proposal & acceptance ) हमारे बीच और insurance कम्पनी के बीच एक प्रपोजल होता है और जिसे हम बीना शर्त के उसे स्वीकार कर लेते है
2 . प्रतिफल ( प्रीमियम ) (premium ) जब भी हम insurance खरीदते है तो उसके बदले मैं हमे एक प्रीमियम देने का एक करार होता है
3 . कौन बीमा ले सकता है( competent to contract ) ऐसा व्यक्ति जो पूरी तरह से स्वस्थ हो और उसकी आयु 18 साल से ज्यदा हो वो एक बीमा पालिसी खरीद सकता है
4 . दोनों को समझ आनी चाहिए ( consensus -ad-idem) बीमा लेने के लिए बीमा कम्पनी और आपके बीच जो भी सविदा या बातचीत होती है वो आपको समझ आनी चाहिए और जो बीमा बेच रहा है उसको भी समझ हो की वो क्या बेच रहा है दोनों को समझना जरुरी हो
5 . उद्देश्य या प्रयोजना की वैधता – सविदा के दोनों पक्षकारो का उद्देश्य एक विधिक सम्बद्ध की रचना होना चाहिए | सविधा का प्रयोजना भी वैध होना चाहिए
6 . निष्पादन का सामर्थ्य – सविधा के दोनों पक्षकारो मैं निष्पादन की शमता तथा योग्यता होनी चाहिये
insurance योग्य हित ( example of insurable interest in life insurance)
जीवन बीमा पालिसी मैं नामित व्यक्ति का बीमाधारक के साथ बीमा योग्य हित होने चाहिए जैसे पति पत्नी का एक दुसरे के जीवन मैं बीमायोग्य हित होना चाइये
माता पिता का अपने बच्चो के जीवन मैं बीमायोग्य होता है और यदि यह किसी भी कानून मैं लिखित रूप से परिभाषित नही किया गया है इसके अंतर्गत केवल आर्थिक जोखिम ही बीमा योग्य हिट के अंतर्गत आता है . बीमा योग्य हित किसी व्यक्ति का किसी विषय वस्तु का बीमा कराने का कानूनी अधिकार होता है
जो स्वय के परिवार के परिवार के परिवार के सदस्यों के जीवन या उनकी सम्पतियो हो सकती है जब एक व्यक्ति को बीमा योग्य हित होता है तो वह अन्य व्यक्ति या सम्पति से लाभ प्राप्त करता है तथा उनको हुई हानि से कभ्रप्रभावित होता है या हानि उठाता है अन्य स्तिथिया जिनके बीमा योग्य हित मौजूद माना जाता है मैं लेनदार देनदार , कर्मचारी नियोक्ता अथवा विलोम रूप मैं , साझेदारी एक दुशरे के जीवन मैं तथा कंपनियों का उनके प्रधान अथवा प्रमुख व्यक्ति के जीवन मैं शामिल है
परम सद्भाव( utmost good faith in life insurance)
जीवन बीमा के प्रस्ताव पत्र मैं प्रस्तावक यह घोषणा करता की प्रस्ताव पत्र मैं दिये गए सभी कथन सही है और यदि उनमे कोई कथन गलत पाया गया तो बीमाकर्ता को यह अधिकार होगा की वह उस सविधा को अकृत और शून्य माने तथा प्रीमियम के तौर पर अदा की गयी सम्पूर्ण राशी जब्त कर ले
परम सद्भाव का सिधान्त पालिसी जारी होने के दो वर्ष तक ही लागू रहता है सभी बीमा समझोतों मैं स्पष्ट सारभूत तथ्यों को प्रकट करने का कर्तव्य होता है
सविधा के आस्तिव मैं आने से पूर्व प्रस्ताव अवस्था मैं यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है बीमाकर्ता का भी बीमित के प्रति प्रकटन का कर्तव्य होता है इस कर्तव्य का अनुपालन करने के लिए बीमाकरता को भी परम सद्भावपूर्ण व्यवहार करना चाहिए
सारभूत तथ्य ( MATERIAL FACT )
सारभूत तथ्य वह तथ्य है जो एक विवेकशील बीमाकर्ता के प्रीमियम निर्धारित करने तथा यह उसमे होने वाले जोखिम को निर्धारित करने के निर्णय को प्रभावित करेगे , कुछ तथ्य जैसे विधि सम्बधि ज्ञान तथा सर्विदित तथ्य को प्रकट करने की जरूरत नही होती है यदि बीमित प्रकट करने के कर्तव्य का यथार्थ मैं उल्घंन करता है बीमाकर्ता सविधा को अमान्य तथा शून्य घोषित कर सकता
सतिपुर्ती का सिधान्त – यह सिधान्त जीवन बीमा ( INDISPUTABILITY ACT ) पालिसी पर लागू नही होता है इसके अंतर्गत देय दावा मात्र बीमाकृत राशि निर्भर करता है | जीवन बीमा के मामले मैं जोखिम नही टाला जा सकता है शातिपुर्ती का आशय बीमित को उसी वितीय स्तिथि मैं लाना है जो हानि से पूर्व थी इसका उदेश्य लाभ कमाना नही है
बीमा कंपनियों के मुख्य द्स्तावेद
प्रस्तावक फार्म – यह सुचना का एक मुख्य स्त्रोत होता है जिसके माध्यम से जोखिमानक प्रस्ताव के जोखिम का आकलन करता है
वैध आयु प्रमाण पत्र – इसके लिए कुछ द्स्तावेद है जो हाईस्कूल सर्टिफिकेट / परीक्षा की अंक तालिका पासपोर्ट , जन्म प्रमाण पत्र , ड्राइविंग लाइसेंस , वोटर आई डी , मतदान पहचान पत्र
बीमा कम्पनी प्रथम प्रीमियम रसीद ( FPR ) जारी करके प्रस्तावक को सूचित करती है की उसका प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया है तथा कम्पनी द्वारा प्रीमियम प्राप्त किया जा चूका है
बीमा कंपनी नवीनीकरण प्रीमियम रसीदे ( RPR ) जारी करती है जब वह पालिसीधारक से आगामी प्रीमियम प्राप्त करती है
पालिसी दस्तावेज एक मत्वपूर्ण दस्तावेद होता है यह बीमा कम्पनी तथा बीमित के मध्य सविधा का प्रमाण होता है
बीमा कम्पनी प्रष्टाकन के द्वारा मूल पालिसी डॉक्यूमेंट मैं परिवर्तन की अनुमति देती है
देय तिथिया – वे तिथिया होती है जिन पर पालिसीधारक को बीमा कम्पनी को प्रीमियम का भुगतान करना आवश्यक होता है
प्रीमियम चुकने पर – अगर आपका प्रीमियम चुक जाता है तो आपकी पालिसी व्यपगत ( कालातीत ) हो जाती है अनुग्रह अवधि वार्षिक , अर्धवार्षिक तथा त्रिमासिक प्रीमियम भुगतान पर 30 दिन या एक माह तथा मासिक पर 15 दिन होती है ( वेतन बचत योजना के अंतर्गत )
चुकता मूल्य – भुगतान किये गए प्रीमियम की संख्या / भुगतान योग्य प्रीमियमो की संख्या , X बीमा धन + बोनस ( यदि कोई हो )
समप्रमन मूल्य – या नकद मूल्य वह राशी होती है जिसको भुगतान हेतु बीमा कम्पनी पालिसी समप्र्पित करने पर उतरदायित्व होती है
जब एक व्यपगत पालिसी पुनस्थापित की जाती है तो इसे पालिसी का दोबारा जन्म लेना कहलाता है
नामाकन -मैं बीमित व्यक्ति किसी व्यक्ति के नाम का प्रस्ताव करता है जिसे उसकी मुर्त्यु के प्रश्चात बीमा धन का भुगतान किया जायेगा , समुदेशन से आशय है किसी बीमा पालिसी मैं हक अधिकार तथा हित का अन्य व्यक्ति को हस्ताक्षरन से है यदि रीनी रीन के पुन भुगतान मैं चुक करता है तो बीमा कम्पनी के पास पालिसी को निरस्त करने का विकल्प होता है रह मोचन निषेध ( foreclosure ) या पालिसी को बिलकुल बंद करने का अधिकार
प्रीमियम – का भुगतान बीमा सविधा का प्रतिफल होता है अत इसके भुगतान के बीना सविदा का कोई अस्तिव मैं नही आ सकती है तथा कोई कवर प्रभावी नही होगा
कुछ व्यवाहरिक वे परिस्तिथिया जिसमे बीमा योग्य हित मौजूद होता है
स्वय के जीवन मैं असीमित हित
अपने पति या पत्नी के जीवन तथा विलोम मैं हित
अपने बच्चो के जीवन तथा विलोम मैं हित
अपनी सम्पतियो मैं हित
आयु के वैध प्रमाण के रूप मैं
– एक वैध आयु प्रमाण के रूप मैं स्वीकार किये जा सकने वाले दस्तावेज को मानक आयु प्रमाण दस्तावेज तथा गैर मानक / अमानक आयु प्रमाण दस्तावेज के रूप मैं वर्गीकृत किया जा सकता हा कुछ दस्तावेज जिनको आयु प्रमाण के रूप मैं माना जाता है वो इस प्रकार है
स्कूल तथा कालेज के अभिलेखों के अनुसार प्रमाण पत्र
जन्म के समय नगर पालिका के रिकार्ड या जन्म प्रमाण पत्र
पासपोर्ट , पैन कार्ड , कम्पनी आई डी कार्ड , चर्च द्वारा जारी प्रमाण पत्र , रक्षा विभाग द्वारा जारी पहचान पत्र , रोमन कैथलिक चर्च द्वारा जारी विवाह प्रमाण पत्र
गैर मानक आयु प्रमाण पत्र ( NON STANDARD AGE PROOF )
कुछ ऐसे डॉक्यूमेंट भीं है जो आयु के प्रमाण के रूप मैं माना जाता है या उसको बीमा कम्पनी स्वीकार करती हैं वो इस प्रकार है
स्व घोषणा बडो की घोषणा सहित प्रमाण पत्र
ग्राम पंचायत द्वारा जारी प्रमाण पत्र
जन्म के समय तैयार जन्म कुंडली
राशन कार्ड
प्रथम प्रीमियम रशीद मैं निम्लिखित सूचनाये शामिल होती है
बीमित व्यक्ति का नाम और पता , पालिसी नंबर , भुगतान की गयी प्रीमियम राशी , प्रीमियम भुगतान की विधि तथा आवर्ती , प्रीमियम भुगतान की अगली देय तिथि
जोखिम की शुरुआत की तिथि , पालिसी MATUARITY की तिथि , अंतिम देय प्रीमियम की तिथि , बीमा धन
नामित अवश्यक होता है तो बीमित व्यक्ति को एक सरकशन नियुक्त किया गया है तो बीमित व्यक्ति के मरने दावे का भुगतान पालिसीधारक के कानूनी उतराधिकारी को किया जाता है अवश्यक का नैसगिर्क या नियुक्ति सरक्षण को नही
मुक्त लाक इन अवधि या कुलिक आफ अवधि
– FPR जारी होते ही बीमा सविदा प्रभावी हो जाती है तथापि IRDA विमिय्म प्रस्ताव को पालिसी द्स्तावेद प्राप्त होने की तिथि से 15 दिनों की अवधि के भीतर सविदा वापस लेने का विकल्प प्रदान करते है ये 15 दिन वो समय होता अगर आपको पालिसी पसद नही आई तो इसको वापस कर सकते है इस अवधि को ही हम मुक्त लाक इन अवधि या कुलिक आफ अवधि कहते है अगर आप बीमा पालिसी को वापस करते है तो बीमा कम्पनी कुछ क्टोतियो जैसे उक्त अल्प अवधि जिसके लिए कवर दिया गया था के लिए कवर की लागत , मेडिकल टेस्ट खर्चा तथा स्टाम्प शुल्क को घटाकर आपको शेष प्रीमियम वापस कर दिया जाता है
एक बार जब पालिसी व्यपगमन ( LAPSED )
हो जाती है तो पालिसीधारक द्वारा भुगतान किये गए सभी प्रीमियम को जब्त हो जाते है तथा पालिसी पर कोई दावा स्वीकार नही होता है तथापि बीमाकर्ता सविदा समाप्त नही करता है वे पालिसीधारक को पालिसी पुनजीवित करने के लिए कई आसन विकल्प जैसे बाकाय प्रीमियम के भुगतान तथा निरतर अच्छे स्वास्थ्य सम्बधि जानकारियों के घोषणा के आधार पर होता है
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