इंजन कार का हो या ट्रक का या बस का सभी में एक जैसे पार्ट इस्तेमाल किए जाते है सिर्फ इंजन के बड़े और छोटे होने का फर्क होता है अगर इंजन में लगे पार्ट की बात की जाए तो अलग अलग पार्ट लगे होते है
और सभी पार्ट का अपना अलग अलग काम होता है , इंजन के कितने पार्ट होते है यह आपको एकदम से समझ नहीं आएगा उसके लिए आपको अलग अलग पार्ट के बारे में जाना होगा और यह पार्ट लगे कहा होते है
इंजन के मुख्या कार्य में पिस्टन माना गया है अगर किसी वाहन का पिस्टन या रिंग खराब हो जाता है तो उस इंजन को दोबारा रिपेयर करवाना पड़ता है क्युकी पिस्टन रिंग खराब होने के बाद इंजन से आयल धुएँ के रूप में निकलने लगता है
जिसके कारण इंजन से बार बार इंजन आयल ख़त्म होने की समस्या उत्पन हो जाती है , पिस्टन रिंग ही इंजन की जान होती है और इसी के कारण इंजन चल रहा है , जानिए इंजन के पार्ट के बारे में –
इंजन के कितने पार्ट होते है
इंजन में छोटे और बड़े पार्ट लगे होते है और उन छोटे और बड़े पार्ट के अन्दर भी और पार्ट लगे होते है आज हम आपको सभी इंजन के पार्ट के बारे में जानकारी देंगे
. सिलेंडर ब्लाक ( cyliender block )
सबसे पहले हम बात करते है ब्लाक की और ब्लाक इंजन का मुख्या पार्ट होता है क्युकी ब्लाक में पिस्टन लगे होते है यह ब्लाक लोहे का होता है और कुछ कार में यह ब्लाक एलमुनियम का भी होता है
इस ब्लाक में अलग अलग सिलेंडर होते है और उन सिलेंडर में पिस्टन लगे होते है इस ब्लाक के सिलेंडर कार पर निर्भर करते है जैसे टाटा नेनो में 2 सिलेंडर होते है और दो पिस्टन परन्तु स्विफ्ट कार में 4 सिलेंडर और 4 पिस्टन होते है
सिलेंडर ब्लाक में उपर की तरफ हेड लगा होता है और निचे की तरफ क्रैंक शाफ़्ट लगी होती है सिलेंडर ब्लाक में सलिव लगी होती है जिसे पिस्टन खराब नहीं होती है
सिलेंडर ब्लाक में लगे अलग अलग पार्ट
सिलेंडर ब्लाक में भी अलग अलग बहुत से पार्ट होते है जो अपना अलग अलग काम करती है सिलेंडर ब्लाक में लगे पार्ट इस प्रकार है जानिए
. पिस्टन रिंग
यह सिलेंडर ब्लाक का मुख्या पार्ट होता है यह अंडाकार होता है और यह सिलेंडर ब्लाक में उपर और निचे होता है और इंजन में कम्प्रेसर बनाए रखता है
पिस्टन में रिंग लगे होते है रिंग गोल अकार के होते है और उसमे छोटे छोटे कट होते है डीजल कार में 3 रिंग डलते है , आयल रिंग , कम्प्रेसर रिंग , टॉप रिंग , और पेट्रोल कार में पांच रिंग होते है
पहला आयल रिंग , स्पेंडर 1 , स्पेंडर 2 , कम्प्रेसर रिंग , और टॉप रिंग यह रिंग पिस्टन में घूमते है और जब पिस्टन रिंग खराब होते है तो इंजन आयल कम होने लगता है और सफ़ेद धुए की समस्या उत्पन हो जाती है
. क्रैन्कशाफ्ट
क्रैन्कशाफ्ट यह सिलेंडर ब्लाक में निचे की तरफ लगा होता है और इसी के कारण ही पिस्टन उपर निचे होता है पिस्टन में एक कनेक्टिक रोड लगी होती है जो क्रैन्कशाफ्ट से जुडी होती है
जब क्रैन्कशाफ्ट घुमती है तो कनेक्टिक रोड भी उपर निचे होती है जिसे पिस्टन काम करता है क्रैन्कशाफ्ट में छोटे छोटे छेद होते है जिसे कनेक्टिक रोड के बेरिंग को आयल मिलता है
क्रैन्कशाफ्ट में एक तरफ फ्लाई व्हील और क्लच प्लेट लगी होती है और दूसरी साइड टाइमिंग चैन और टाइमिंग बेल्ट लगी होती है और क्रैन्कशाफ्ट की मदत से ही केमशाफ़्ट घुमती है
. आयल पंप
आयल पंप इंजन का बहुत जादा महत्वपूर्ण पार्ट होता है क्युकी यह इंजन में आयल को पुरे इंजन में फेलाने का काम करता है आयल पंप क्रैन्कशाफ्ट में लगा होता है आयल पंप में एक फ़िल्टर लगा होता है
और यह आयल फ़िल्टर इंजन आयल में डूबा रहता है जब क्रैन्कशाफ्ट घुमती है तो यह आयल पंप घूमता है और आयल पंप में लगा फ़िल्टर इंजन आयल को खिचता है और हेड में केमशाफ़्ट तक पहुचाता है जिसे इंजन सीज नहीं होता है
अगर किसी कारण आयल पंप खराब हो जाता है तो इंजन आयल उपर केम शाफ़्ट तक नहीं पंहुचा पाएगा और बाकी के पार्ट तक भी इंजन आयल नहीं जा पाएगा जिसके कारण इंजन सीज हो जाएगा
. कनेक्टिक रोड
कनेक्टिक रोड पिस्टन और क्रैन्कशाफ्ट से जुडी होती है कनेक्टिक रोड में एक साइड गजल पिन लगी होती है और दूसरी तरफ बिगन / बेरिंग लगे होते है जिसे कनेक्टिक रोड ऊपर निचे होती है
कनेक्टिक रोड उपर की तरफ से पतली होती है और निचे की तरफ थोड़ी चोडे अकार में होती है जब क्रैंकशाफ़्ट घुमती है तो कनेक्टिक रोड में लगा बेरिंग घूमता है और जिसे कनेक्टिक रोड भी काम करती है और पिस्टन उपर निचे होता है
. गजल पिन
गजल पिन पिस्टन और कनेक्टिक रोड में लगी होती है और यह सिल्वर कलर की होती है और यह बहुत जादा प्लेन होती है और यह घुमती है पिस्टन इसमें उपर निचे होता है
अगर यह गजल पिन जाम हो जाए तो पिस्टन उपर निचे नही हो पाएगा और इंजन सीज हो जाएगा रिंग खराब हो जाएगे इसलिए पिस्टन और गजल पिन सही होनी चाहिए
. आयल कूलर
आयल कूलर यह ब्लाक में बाहर की तरफ लगा होता है और इसमें आयल फ़िल्टर लगा होता है और इसी में ही कूलैंट का सिस्टम जुड़ा होता है और यह इंजन आयल को ठंडा करता है
अगर इस आयल कूलर में प्रॉब्लम आ जाती है तो कूलैंट में इंजन आयल मिक्स हो जाता है , जब यह आयल कूलर खराब होता है तो रेडिअटर में इंजन आयल आ जाता है
. सलिव
यह ब्लाक के अन्दर लगी होती है और यह गिलास की तह गोल होती है और लम्बी होती है और स्लीव के अन्दर ही पिस्टन चलते है परन्तु यह बदले नहीं जाते है यह तब बदले जाते है जब यह कट जाती है
जब यह सलिव कट जाती है तो पिस्टन और रिंग में प्ले आ जाती है जिसे रिंग कट जाते है जिसके कारण इंजन आयल कम होने लगता है और पिस्टन के ऊपर आने लगता है और जलने लगता है और धुएँ के रूप में बाहर निकलता है
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. हेड ( head )
हेड सिलेंडर ब्लाक के उपर लगा होता है और इसमें वाल्व लगे होते है जो इंजन में लगे पिस्टन के चलने के अनुसार काम करते है यह वाल्व उपर वाली साइड से बारीक और निचे से गोल और चपटे होते है
यह भी प्रेसर बनाने का काम करते है अगर किसी वाल्व में समस्या हो जाती है तो कार को स्टार्ट करने में समस्या उपन हो जाती है और साथ ही pickup की समस्या उत्पन हो जाती है
हेड किसी भी कार , बाइक , ट्रक , बस के इंजन के लिए महत्वपूर्ण हिसा होता है क्युकी हेड से ही क्रैन्कशाफ्ट जुड़ीं होती है और इंजन कार्य करता है , हेड में भी आपको अलग अलग पार्ट देखने को मिलेगे जानिए
हेड में लगे अलग अलग पार्ट
हेड सिर्फ एक पार्ट है परन्तु हेड को काम करने के लिए भी छोटे छोटे पार्ट की जरूरत होती है वह पार्ट आपको निचे देखने को मिल जाएगे , हेड के पार्ट इस प्रकार है
. वाल्व
वाल्व हेड में लगा सबसे महतवपूर्ण पार्ट होता है और यह पिस्टन की पोजीसन के हिसाब से काम करता है जैस जब क्रैंकशाफ़्ट घुमती है तो पिस्टन भी निचे जाता है और क्रैन्कशाफ्ट में टाइमिंग चेन लगी होती है
और यह टाइमिंग चेन केमशाफ़्ट से जुडी होती है इसलिए जब पिस्टन निचे जाता है तो केमशाफ़्ट की मदत से वाल्व भी निचे पिस्टन को धका देते है और इंजन घूमता है
. वाल्व सील
वाल्व सील रबर की होती है और यह गोल अकार की होती है और इसमें एक स्प्रिंग लगा होता है वाल्व सील वाल्व के ऊपर लगी होती है और यह सील इंजन आयल को पिस्टन के उपर जाने से रोकती है
मतलब हेड के अन्दर केमशाफ़्ट पर आयल चलता है परन्तु वह इंजन आयल निचे पिस्टन के उपर नहीं जाता है क्युकी वाल्व में वाल्व सील लगी होती है अगर यह वाल्व सील फट जाए तो सफ़ेद धुएँ की समस्या कार में हो जाती है
. स्प्रिंग
स्प्रिंग यह गोल होता है और आम स्प्रिंग जैसा होता है परन्तु बहुत मजबूत होता है यह भी वाल्व के उपर लगा होता है और यह इसलिए लगा होता है
जब केमशाफ़्ट की मदत से वाल्व निचे की और जाता है तो वाल्व में यह स्प्रिंग वाल्व को दोबारा ऊपर की तरफ अपनी जगह पर लेकर आता है और वाल्व काम करता है
. गाटर और वार्सल
यह भी वाल्व के उपर लगी होती है यह दोनों पार्ट स्प्रिंग के उपर लगे होते है और स्प्रिंग को दबाने में मदत करती है गाटर दो छोटी छोटी होती है और इसमें कट होते है जो वाल्व में फस जाते है
और यह गाटर वार्सल के अन्दर रखकर स्प्रिंग पर लगाईं जाती है और यह स्प्रिंग दबाकर वाल्व में फसाया जाता है जिसे यह सभी पार्ट काम करते है
. केमशाफ़्ट
केमशाफ़्ट हेड में उपर की तरफ लगी होती है और यह लम्बी गोल अकार की होती है और इसमें बेरिंग जैसे खांचे बने होते है , केमशाफ़्ट का मुख्या काम होता है वाल्व को दाबना केमशाफ़्ट क्रैन्कशाफ्ट से जुडी होती है टाइमिंग चेन की मदत से
जब क्रैन्कशाफ्ट घुमती है तो टाइमिंग चैन घुमती है और फिर टाइमिंग चैन की मदत से केमशाफ़्ट घुमती है जिसे वाल्व निचे उपर होते है और इंजन काम करता है अगर केमशाफ़्ट में समस्या आ जाती है तो इंजन स्टार्ट नहीं होगा और साउंड की समस्या आ जाएगी
. रोकर आर्म
रोकर आर्म केमशाफ़्ट के निचे लगे होते है और जितने आपके हेड में वाल्व होते है उतने ही रोकर आर्म्स होते है एक केमशाफ़्ट सभी वाल्व को नहीं दबा सकती है उसके लिए रोकर आर्म्स का इस्तेमाल किया जाता है
केमशाफ़्ट में अंडे के अकार के बेरिंग होते है जो एक तरफ से लम्बे और दूसरी तरफ से पतले जब केमशाफ़्ट घुमती है तो जो रोकर आर्म्स केमशाफ़्ट के लम्बे वाले हिसे में आती है तो रोकर आर्म्स अपने निचे लगे वाल्व को दबा देती है
. डीजल पंप
आपको हेड में एक तरफ डीजल पंप लगा होता है और यही पंप इंजेक्टर को फ्यूल की सप्लाई करवाता है और इंजेक्टर इंजन में पिस्टन के उपर फ्यूल की सप्लाई करवाता है
डीजल पंप केमशाफ़्ट के साथ जुड़ा होता है जब केमशाफ़्ट घुमती है तो डीजल पंप घूमता है और फ्यूल आगे इंजेक्टर में जाता है डीजल पंप में डीजल के वापसी के पाइप लगे होते है
. ब्रेक वेक्यूम पंप
ब्रेक वेक्यूम पंप हेड में लगा होता है डीजल पंप के पास यह भी केमशाफ़्ट के साथ जुड़ा होता है और यह ब्रेक पेडल को हार्ड होने से रोकता है ब्रेक वेक्यूम पंप में से एक पाइप ब्रेक बूस्टर में लगा होता है
अगर इस ब्रेक वेक्यूम पंप में कचरा आ जाता है तो यह बूस्टर में वेक्यूम नहीं कर पाती है जिसके कारण ब्रेक पेडल हार्ड हो जाता है और ब्रेक लगनी बंद हो जाती है
. स्पार्क प्लग / इंजेक्टर
स्पार्क प्लग और इंजेक्टर कार के इंजन को स्टार्ट करने के किये बहुत महत्वपूर्ण पार्ट होता है इसी के कारण कार का इंजन स्टार्ट होता है इंजेक्टर और स्पार्क प्लग ecm के signal के द्वारा फ्यूल की सप्लाई करता है
केमशाफ़्ट और क्रैन्कशाफ्ट में सेंसर लगे होते है और यह दोनों सेंसर पिस्टन की पोजीसन का पता करते है जब पहले नंबर का पिस्टन उपर आता है तो यह सेंसर ecm को signal भेजते है की पहला पिस्टन उपर आ गया है
ecm को signal मिलते ही ecm पहले नंबर के इंजेक्टर को फ्यूल की सप्लाई करवा देता है इस प्रकार सभी इंजेक्टर फ्यूल की सप्लाई करते है
. एग्जोस्ट मेनिफोल्
एग्जोस्ट मेनिफोल्ड से इंजन के अन्दर से जो खराब गेस होती है वह बाहर निकलती है एग्जोस्ट मेनिफोल्ड में सिलेंसर लगा होता है और सिलेंसर में टर्बो लगा होता है
एग्जोस्ट मेनिफोल्ड में जो टर्बो लगा होता है जो छोटे इंजन से बड़े इंजन की पॉवर लेती है और यह इंजन में pickup बढाने का कार्य करता है
. इन्टेकमेनिफोल्ड
यह भी हेड में लगा होता है और इसके अन्दर गेस जमा होती है जब इंजन के अन्दर से गेस निकलती है तो वह इन्टेकमेनिफोल्ड में जाती है और वहा से कुछ गेस egr वाल्व में जाती है और कुछ गेस टर्बो में जाती है
यह प्लास्टिक का होता है और एक लाख किलोमीटर पर साफ़ किया जाता है अगर इसमें कचरा भर जाता है तो कार में समस्या उत्पन हो जाती है
. egr वाल्व
egr वाल्व इंजन में pickup के लिए लगा होता है परन्तु egr वाल्व हमेशा नहीं खुलता है जब आप किसी रोड में लगातार एक ही स्पीड में कार को चलाते है तब यह खुलता है और इसमें इंजन की कुछ गेस एंटर करती है
egr वाल्व को ठंडा करने के लिए इसमें कूलैंट का सिस्टम लगा होता है इसमें कूलैंट के पाइप लगे होते है जब egr वाल्व गर्म हो जाता है तो कूलैंट egr को ठंडा कर देता है
. वाटर एल्बो
यह हेड में एक साइड लगी होती है और यह रेडिअटर से जुड़ा होता है वाटर एल्बो में थर्मोस्टेट वाल्व लगा होता है और यह तब खुलता है जब इंजन में वाटर का tempecture 90 डिग्री से उपर नही चला जाता है
जब इंजन का पानी गर्म हो जाता है तो यह वाल्व खुल जाता है जिसे इंजन ठंडा हो जाता है क्युकी रेडिअटर का पानी इंजन के पानी के साथ मिक्स होता है इसके साथ ही इंजन का पानी गर्म होते ही रेडिअटर फेन ऑन हो जाता है
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. टाइमिंग चैन ( timing chain )
यह इंजन के एक साइड लगी होती है और यह क्रैन्कशाफ्ट और केमशाफ़्ट से जुडी होती है जब हम सेल्फ लगाते है तो क्रैन्कशाफ्ट घुमती है तो टाइमिंग चैन घुमती है
टाइमिंग चैन से ही केम शाफ़्ट घुमती है टाइमिंग चैन ही पिस्टन की पोजीसन को बनाए रखते है अगर टाइमिंग चैन टूट जाती है तो केम शाफ़्ट टूट जाती है और वाल्व मुड जाते है और इंजन खोलना पड़ता है
इंजन में लगे सेंसर
. knock sensor
. oil pressure sensor
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जानिए कुछ सवालों के जवाब
Q . पिस्टन खराब होने पर क्या समस्या आती है ?
ans . पिस्टन खराब होने से कार में सफ़ेद धुएँ की समस्या और इंजन में साउंड आने की समस्या उत्पन होती है जब पिस्टन खराब होता है तो रिंग भी ख़राब होते है जिसके कारण इंजन आयल निचे से रिंगो के द्वारा पिस्टन के उपर आ जाता है और इंजन आयल पिस्टन के उपर आने से वह जलने लगता है और धुएँ के रूप में सिलेंसर से बाहर निकलने लगता है |
Q . इंजेक्टर फ्यूल की सप्लाई कब करते है ?
ans . इंजेक्टर फ्यूल की सप्लाई ecm के signal मिलने के बाद करते है जानिए , क्रैन्कशाफ्ट में एक सेंसर लगा होता है जिसे हम क्रैंक सेंसर कहते है जब क्रैन्कशाफ्ट घुमती है तो यह सेंसर क्रैंक की घुमने की गति को मापता है और ecm को signal भेजता है उसके बाद ecm इंजेक्टर को signal भेजता है और जब कोई पिस्टन उपर आता है तो इंजेक्टर फ्यूल की सप्लाई कर देता है |
Q . क्रेन्क्सेंसर क्या करता है ?
ans . क्रेन्क्सेंसर का मुख्या कार्य है पिस्टन की टाइमिंग को ecm को बताना क्रैन्कशाफ्ट में पिस्टन लगे होते है और जब क्रैन्कशाफ्ट घुमती है तो पिस्टन ऊपर निचे होते है और जब पहला पिस्टन उपर टॉप पर जाता है तो क्रेन्क्सेंसर ecm को signal भेज देता है और ecm फ्यूल की सप्लाई करवा देता है इसी प्रकार सभी पिस्टन उपर आते है और क्रेन्क्सेंसर siganl भेजता है और फ्यूल की सप्लाई होती है |
Q . वाल्व सील फट जाने से क्या होगा ?
ans . अगर हेड में लगी वाल्व सील फट जाती है तो हेड में आने वाला इंजन आयल वाल्व सील के द्वारा पिस्टन के उपर जाने लगेगा जिसके कारण इंजन आयल जलने लगेगा और वह इंजन आयल जलकर सिलेंसर से सफ़ेद धुएँ के रूप में बाहर निकल जाएगा इसके अलावा माइलेज कम होना , आईड्लिंग , pickup आदि समस्या हो जाएगी |
Q . इंजन आयल खराब क्यों होता है ?
ans . इंजन आयल खराब होने का सबसे बड़ा कारण है एयर फ़िल्टर का खराब हो जाना डस्ट जमा हो जाना क्युकी इंजन में फ्यूल के साथ साथ एयर जाती है और वह एयर फ़िल्टर के द्वारा जाती है जब एयर फ़िल्टर गन्दा हो जाता है तो एयर के साथ मिटी भी जाती है और वह मिटी इंजन आयल के साथ जाकर मिल जाती है और इंजन आयल खराब हो जाता है |
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