बैंक समाधान विवरण क्या है इसको क्यों बनाया जाता है चलो इसको समझते है जब भी आप बैंक मैं एंट्री होती है और अपने पास एंट्री रहती है इसको मिलान करना होता है जैसे आप ने बैंक खाते मैं एंट्री या कोई पेमेंट या बैंक चार्जेज होता है वो आपको पता नही होता आपके खाते मैं कुछ और बैंक खाते मैं कुछ और इसी को मिलाने के लिए बैंक समाधान विवरण बनाया जाता है
बैंक समाधान विवरण बनाने की विधियां क्या है-bank reconciliation statement in hindi
बैंक समाधान विवरण कैसे तैयार किया जाता इसको बनाने की क्या विधिया है जान लेते है बैंक समाधान विवरण हर महीने के लास्ट मैं तैयार किया जाता है जब हम बैंक से पुरे महीने के बैंक स्टेटमेंट को मागवा लेते है
जब आपके पास बैंक स्टेटमेंट आ जाता है तो रोकड़ बही मैं आपके बैंक का टोटल और आपके पासबुक के टोटल का शेष मिलाया जाता है अगर बैंक का शेष और रोकड़ बही का शेष नही मिल रहा है तो कुछ एंट्री आपके रोकड़ बही मैं नही है
हमे मिलाने के लिए रोकड़ बही और बैंक पासबुक के सभी एंट्री को मिलाया जाता है
जब भी आप बैंक समाधान विवरण बनाते है तो रोकड़ बही के बैंक खाने का डेबिट शेष और पासबुक या बैंक स्टेटमेंट का क्रेडिट शेष जोड़ राशी वाले खाने मैं दिखाया जाता है
बैंक समाधान विविरण बनाते समय सभी लेन देन का रोकड़ बही या पासबुक के शेष पर प्रभाव को दिखाया जाता है यदि रोकड़ बही का शेष दिया हुआ है तो प्रत्येक लेन देन के प्रभाव का निर्धारण किया जाता है की क्या इससे रोकड़ बही का शेष बढ रहा है या घट रहा है यदि रोकड़ बही का शेष बढ़ता है तो लेन देन की राशि को घटाया जाता है
और यदि घटता है तो लेन देन की राशि को जोड़ा जाता है
बैंक समाधान विवरण बनाते समय सभी लेन देन के प्रभाव को एक निश्चित तिथि को किया जाता है किसी एंट्री को घटाना है किसको जोड़ा जाना है
कुछ नोट करने वाली बाते
-यदि बैंक समाधान विवरण रोकड़ बही के डेबिट शेष से शुरू किया जाता है तो आपको पासबुक का क्रेडिट शेष ज्ञात हो जायेगा
-यदि बैंक समाधान विवरण रोकड़ बही के क्रेडिट शेष से शुरू किया जाता है तो आपके पासबुक का डेबिट शेष होगा
बैंक समाधान विवरण के लाभ क्या है जाने
1 . अगर कोई गलती हो गयी या भूल हो गयी तो बैंक समाधान विवरण के द्वारा पता लगाया जाता है
2 . कर्मचारियों को पकड़ने के लिए बैंक समाधान विवरण को बनाया जाता है
3 . रोकड़ बही को पूरा करने के लिए बैंक समाधान विवरण को बनाया जाता है
4 . बैंक शेष को जानने के लिए बैंक समाधान विवरण को बनाया जाता है
5 . ये बैंक और रोकड़ बही का शेष बराबर करता है
बैंक समाधान विवरण का प्रारूप
PARTICULAR | PLUS AMOUNT | MINUS AMOUNT | ||
बैंक समाधान विवरण की उपयोगिता
1. रोकड़ बही तथा पासबुक के टोटल के अंतर का पता लगाने मैं इसका उपयोग किया जाता है
2 . लेन देनो को लिखने के समय के अंतर का पता लगाने के लिए
3 . लेन देन का लेखा करते समय गलतियों का पता लगाने के लिए
4 रोकड़ बही और ओवरड्राफ्ट अकाउंट के क्रेडिट शेष का मिलान करने के लिए उपयोग किया जाता है
कौन सा ट्रांसजकसन मैं रोकड़ बही मैं ऐड और बैंक मैं घठाया जाता है
हमने चेक को इशू कर दिया पर उसे पेमेंट नही किया
ये कैश बुक मैं जो है वो ऐड किया जायेगा पर बैंक मैं घटाया जायेगा क्युकी बैंक से पेमेंट नही हुआ है
चेक डिपाजिट किया लेकिन बैंक मैं क्रेडिट नही हुआ है
इसमें कैश बुक मैं घटाया जाता है और पासबुक मैं बढ़ाया जाता है
चेक इशू लेकिन कैश बुक मैं दर्ज नही हुआ
इसमें कैश बुक मैं घटाया जाता है और पासबुक मैं बढाया जाता है
चेक दर्ज किया है कैश बुक मैं लेकिन डिपाजिट नही किया
इसमें कैश बुक मैं घटाया जाता है और पासबुक मैं बढाया जाता है
बैंक चार्जेज और इंटरेस्ट डेबिट किया गया बैंक से
कैश बुक मैं से घटाया जाता है और पासबुक मैं से ऐड होता है
इंटरेस्ट क्रेडिट किया गया बैंक मैं
इसमें कैश बुक मैं बढाया जाता है और पासबुक मैं ऐड होता है
बैंक मैं डायरेक्ट डिपाजिट किया कस्टमर ने
इसमें कैश बुक मैं प्लस किया जायेगा और पासबुक मैं घटाया जाता है
नोट – सिंपल सा तरीका है जो हमारे बैंक मैं एंट्री है और हमारे कैश बुक मैं नही है ऐसा इसलिए होता है की बैंक चार्जेज या किसी कस्टमर ने पैसा जमा कराया ये अभी नही पता होता और जो हमे पता नही होगा वो हम हपने बैंक स्टेटमेंट से पता कर लेगे और अपने कैश बुक मैं उसको लिख देगे और जो हमारे कैश बुक मैं है और बैंक मैं नही है
वो हम बैंक बुक मैं लिख कर दोनों का बैलेंस को मैच कर लेगे जिससे हमे ये पता चल जायेगा की हमारे बैंक मैं ये बैलेंस है और हमारे कैश बुक मैं ये बैलेंस है इन दोनों का मिलान करने के लिए हमे बैंक समाधान किया जाता है