आज हम आपको बच्चो को होने वाली समस्या ऑटिज्म क्या है इसके बारे में बताएगे जो बहुत ही गंभीर समस्या है जो आसानी से ठीक नहीं होती है
आमतोर पर ऑटिज्म की समस्या बहुत कम देखने को मिलती है परन्तु कुछ बच्चे होते है जिनमे ऑटिज्म के कुछ लक्ष्ण दिखाई देते है और उन बच्चो को ऑटिज्म होता है
ऑटिज्म से ग्रस्त बच्चा अन्य दुसरे बच्चो से बिलकुल अलग होता है असामान्य होता है उसकी सोचने समझने की शमता कम होती है और उसका बर्ताव भी अलग होता है
जब किसी बच्चे को ऑटिज्म होता है तो उसके माँ और बाप को उस समय पता नहीं चल पाता है जब बच्चा धीरे धीरे बड़ा होता है लक्ष्ण बढ़ते है तो ऑटिज्म की समस्या का पता चलता है
इसलिए आज हम आपको ऑटिज्म से जुडी सभी बातो के बारे में विस्तार से बताएगे जिसे आपको इसे जुडी पूरी जानकारी मिल सके जानते है
ऑटिज्म क्या है
ऑटिज्म बच्चो को होने वाला मानसिक रोग होता है जो दिमाग से जुड़ा होता है ऑटिज्म को autism spectrum disorder के नाम से भी जाना जाता है इसकी पहचान likoanner और springer ने की थी
और ऑटिज्म के सभी लक्ष्ण बच्चे के जन्म से ही दिखाई देने लगते है और जिन बच्चो को ऑटिज्म की बिमारी होती है वह बच्चे अपने से दुसरे बच्चो से बिलकुल असामान्य होते है
3 साल तक के बच्चे में ऑटिज्म की समस्या को पहचान सकते है ज्यादात्तर माँ और बाप अपने बच्चे में ऑटिज्म की समस्या को पहचान नहीं पाते है उनको सभी लक्ष्ण दिखाई देते है पर वह कोई ध्यान नहीं देते है
ऑटिज्म की समस्या के दोरान बच्चे अपने माँ और बाप से आँख नहीं मिलाते है अगर बच्चे का नाम पुकारे तो बच्चा कोई हरकत नहीं करता है साथ ही ज्यादा रौशनी में ऑटिज्म से ग्रस्त बच्चे डरते है
और ज्यादा शोर से और छूने से ऑटिज्म से ग्रस्त बच्चे दूर भागते है उनको बोलने कुछ समझने में समस्या होती है ऑटिज्म से ग्रस्त बच्चे सामान्य बच्चो के साथ रहना पसंद नहीं करते है
जब भी किसी बच्चे में असामान्य लक्ष्ण दिखाई देते है और उनके माँ या बाप को डॉक्टर से मिलने की सलाह दी जाती है तो वह हिचकचाते है डरते है परन्तु सही समय पर डॉक्टर की सलाह जरुरी होती है
ऑटिज्म के लक्ष्ण
ऑटिज्म की समस्या के दोरान बच्चे में बहुत से अलग अलग लक्ष्ण दिखाई देते है जिसके बारे में आपको निचे देखने को मिल जाएगे
(1) . एक ही काम को बार बार करते है
(2) . एक ही जगह पर कई घंटो तक बैठे रहते है
(3) . ज्यादा रूचि नहीं होती है
(4) . बच्चा अपने माँ और बाप से आँखे नहीं मिलाता है
(5) . सामान्य बच्चो के साथ नहीं रहता है
(6) . ज्यादा चिडचिडा होता है हाइपर ज्यादा होता है
(7) . अपने ध्यान को किसी जगह नहीं लगा पाता है
(8) . सोचने और समझने की शक्ति नहीं होती है
(9) . कुछ बोल नहीं पाता है
(10) . हाथो के बल ज्यादा चलता है
(11) . एक ही सब्द को बार बार बोलना
(12) . हर चीज को इशारे से बताना
(13) . ज्यादा हसना खासकर माँ की आवाज सुनकर
(14) . ज्यादा अकेले रहना अच्छा लगना
(15) . सब्दो को उलटे तरीके से व्यक्त करना जैसे जाने की जगह को आना बोलना
(16) . खुद को नुक्सान पहुचाना
(17) . किसी भी तरह के भावना को न समझना
(18) . पुरानी बातो को भूल जाना कुछ याद न रहना
(19) . बार बार ताली बजाना
(20) . पसंद और न पसंद को न समझ पाना
(21) . उठाने के लिए हाथ का बढ़ाना
(22) . भाषा का विकास नहीं होता है
(23) . बच्चे को बहुत ज्यादा गुसा आता है
(24) . गुस्सा करके रोते और चिलाते है जब तक सब पहले जैसा न हो जाए
(25) . किसी कार्य को न कर पाना जो दूसरा बच्चा कर रहा हो
(26) . आगे पीछे हिलना , घूमना , बोलते रहना सामान उठाना और गिराना बोलते रहने जैसे कार्य करते है
यह सभी लक्ष्ण ऑटिज्म के है अगर आपके बच्चे में यह सभी लक्ष्ण दिखाई देते है या इनमे से कुछ लक्ष्ण दिखाई देते है जो असामान्य है तो डॉक्टर की सलाह ले परन्तु लक्षणों के देखने के बाद ही किसी नतीजे पर पंहुचा जा सकता है
ऑटिज्म के कारण
अब बात करते है ऑटिज्म के कारणों के बारे में अगर देखा जाए तो ऑटिज्म के कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है परन्तु ऑटिज्म के दो मुख्या कारण है जेनेटिक्स और एनवायरमेंट जिसके बारे में निचे देखने को मिल जाएगा
(1) . ऑटिज्म के जेनेटिक्स कारण
जेनेटिक्स वो जींस होते है जो हमारे माँ और बाप से हमारे अंदर आते है 23 जींस हमारे अंदर माँ से आते है और 23 बाप से और यह मिलकर 46 होते है
और इन्ही 46 जींस पर निर्भर होता है की हमारा रंग कैसा होगा हम कितने लम्बे होंगे हमारे सोचने और समझने की शक्ति कितनी होगी यह सभी हमे जींस से प्राप्त होते है
और यही जींस ग्रोथ करते है परन्तु अगर अछे से खाया पिया न जाए शरीर में न्यूट्रिशन की कमी हो जाए ग्रोथ हार्मोन की कमी हो जाती है या पीटर यूरी ग्रंथि में चोट लग जाती है जिसे ग्रोथ हार्मोन नहीं निकलता है
थायराइड हार्मोन में समस्या होती है जिसके कारण जेनेटिक्स के आधार पर जितनी ग्रोथ होनी चाहिए उतनी नहीं हो पाती है क्युकी एनवायरमेंट कारण इस ग्रोथ को रोक देते है जिसे ऑटिज्म की समस्या हो सकती है
(2) . ऑटिज्म के एनवायरमेंट कारण
बच्चो में ऑटिज्म होने का एक कारण एनवायरमेंट होता है अगर बच्चा जींस के माध्यम से सही ग्रोथ करता है परन्तु अगर कुछ एनवायरमेंट कारण होते है जिसे बच्चे में ऑटिज्म के लक्ष्ण उत्पन होते है
(1) . अगर बच्चा घंटो तक सोता रहता है
(2) . बच्चे को कुछ भी दिखाया या सिखाया नहीं जाता है
(3) . खेल कूद नहीं करने दिया जाता है
(4) . टी बी या मोबाइल का इस्तेमाल ज्यादा किया जाता है
(5) . बच्चे को बोलना नहीं सिखाया जाता है
(6) . बच्चे को सिर्फ घर में ही रखा जाता है
(7) . बच्चे को एक ही जैसी वस्तु को दिखाया जाता है
(8) . बच्चे से बात नही की जाती है
(9) . बच्चे को सोते समय लोरी न सुनाना
(10) . बच्चो के साथ बात न करना
(11) . उसे नई नई चीजे न दिखाना
यह सभी ऑटिज्म होने के एनवायरमेंट कारण है जो हमारी खुद की गलती के कारण भी होते है इसलिए जितना हो सके बच्चे के साथ एक्टिव रहे उसे नई नई चीजे दिखाए उसे बात करे
ऑटिज्म का इलाज
ऑटिज्म एक एसी बिमारी है जो अगर एक बार किसी बच्चे को होती है तो वह ठीक नहीं होती है और इसका पूरा इलाज अभी तक सामने नहीं आया है
परन्तु कुछ एसे कार्य है जिसे ऑटिज्म की समस्या को कम किया जा सकता है इस समस्या में सुधार किया जा सकता है जिसे बच्चे को समझने और समाज में घुलने मिलने में आसानी हो
एक बात का और ध्यान रहे की अगर आपको कहता है की ऑटिज्म पूरी तरह से ठीक हो सकता है तो उसकी बातो में आकर पेसो को न खर्चे आप ऑटिज्म को कम कर सकते है
इसके लिए आप आयुर्वेद के इलाज की भी मदत ले सकते है साथ ही आप ऑटिज्म से ग्रस्त बच्चे को अलग अलग जगह ले जाए उसे नई नई चीजे दिखाए जिसे वह उन चीजो को समझ सके
उसे नए नए अलग अलग खिलोने दे उसे बात करे अगर वह कोई गलती करता है तो उसे रोके और उस गलती को सही करना सिखाए जिसे ऑटिज्म की समस्या कम हो इसे आपको ज्यादा फायदा होगा
ऑटिज्म को कैसे रोका जा सकता है
जैसा की हमने आपको बताया की हमारा विकास हमारे जींस पर निर्भर करता है जिसे हमारे शरीर की ग्रोथ होती है और इन्ही जींस की मदत से ऑटिज्म को रोका जा सकता है इसका पहले से ही पता लगाया जा सकता है
परन्तु कुछ मामले अभी तक एसे है जिनमे इसे रोका नहीं जा सकता है परन्तु चेक किया जा सकता है इसको रोकने का तरीका है की अगर आपको पहले से पता है
की आपके रिश्तेदारी में किसी को ऑटिज्म की समस्या है तो उसके जींस के टेस्ट के द्वारा कारण को पता कर लिया जाए और बच्चे के जन्म से पहले माँ के एम्निओटिक फ्लूइड का टेस्ट किया जाए
और बच्चे के जींस और ऑटिज्म से ग्रस्त बच्चे के जींस को चेक किया जाए दोनों में समानता तो नहीं है अगर दोनों में समानता है तो हो सकता है की होने वाले बच्चे में ऑटिज्म हो सकता है
और अगर समानता नहीं है तो ऑटिज्म का खतरा बहुत कम हो जाता है इतना सब करने के बाद भी हम प्रोपर पता नहीं लगा सकते है की होने वाले बच्चे में ऑटिज्म होगा या नहीं यह जींस पर निर्भर है
ऑटिज्म से कैसे बचे
हम अपने बच्चे को ऑटिज्म के खतरे से बच्चा सकते है उसके लिए आज हम आपको कुछ अलग अलग तरीके बताएगे जो आप पहले से ही सायद कर रही हो जानते है
(1) . बच्चे को अलग अलग चीजे दिखाए
अगर आप बच्चे को अलग अलग चीजे दिखाते ही तो वह अपनी आँखों के द्वारा उन सभी चीजो को समझेगा जिसे उसकी ग्रोथ में मदत मिलेगी
(2) . अपने बच्चे को अलग अलग आवाजे सुनाए
2 साल तक आपको अपने बच्चे को अलग अलग आवाजे सुनानी चाहिए उसे लोरी सुनाए उसे बात करनी चाहिए जिसे वह अपने कान की मदत से चीजो को समझ सके और उसकी ग्रोथ हो
(3) . बच्चे को छूने के लिए अलग अलग चीजे दे
अपने बच्चे को आप आपको हमेशा ही अलग अलग चीजे छूने के लिए देनी चाहिए साथ ही बच्चे की मसाज करनी चाहिए ताकि वह उन चीजो को महसूस कर सके जिसे वह उन चीजो को समझ सके
(4) . बच्चे को ज्यादा सोने न दे
एक बात का ध्यान रहे की अगर आपका बच्चा दिन में भी सोता है और रात को भी सो रहा है कई घंटे सोता रहता है तो आप उसे ज्यादा सोने मत दीजिए
(5) . बच्चे की मसाज करे
पुराने समय में छोटे बच्चे की मसाज की जाती थी अब भी की जाती है परन्तु बहुत कम बच्चे की मसाज आपको करते रहना चाहिए ताकि बच्चे को हाथो के सपर्श के बारे में पता चले
(6) . बच्चे को ज्यादा समय तक रोने न दे
अगर आपका बच्चा रो रहा है तो उसे अपनी गोद में ले उसे समझे चुप करवाए अगर आप बच्चे को ज्यादा समय तक रोने देते हो तो उसे अकेले रहने की आदत लगती है वह खुद चुप हो जाता है और आगे चलकर उसे अकेले रहने की आदत हो जाती है
प्रेगनेंसी के दोरान ऑटिज्म से कैसे बचे
अगर आप प्रेगनेंसी के दोरान चाहती है की आपका बच्चा ऑटिज्म जैसी समस्या से दूर रहे तो आपको कुछ बातो का ध्यान रखना चाहिए जो इस प्रकार है
(1) . प्रेगनेंसी के दोरान ज्यादा मेडिसिन न ले
प्रेगनेंसी के दोरान आपको ध्यान रखना है की आपको बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी प्रकार की मेडिसिन का सेवन नहीं करना है अगर आप कोई मेडिसिन ले रही है तो डॉक्टर से मिले सलाह ले
(2) . एल्कोहल का सेवन न करे
आपको ध्यान रखना है की आपको प्रेगनेंसी के दोरान एल्कोहल का सेवन बिलकुल नहीं करना है इसे ऑटिज्म का खतरा हो सकता है
(3) . खुस रहे
प्रेगनेंसी के दोरान आपको खुस रहना चाहिए सवस्थ रहना चाहिए अगर आपको कोई समस्या होती है तो आपको तुरंत ही डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए और जाँच करवाते रहना चाहिए
(4) . प्रेगनेंसी से पहले टीकाकर्ण करवाए
प्रेगनेंसी से पहले आपको सभी प्रकार के जरूरत वाले टिके लगवाने चाहिए जैसे जर्मन खसरा यह ऑटिज्म को रोकने में मदत करता है
प्रेगनेंसी के दोरान आपको सभी बातो का ध्यान रखना चाहिए समय पर डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए और डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही मेडिसिन का इस्तेमाल करे
अगर आपको ऑटिज्म को रोकना है तो आपको अपने के साथ थोडा घुल मिल कर रहना होता है उसे समाज में उसके आस पास हने वाली सभी चीजो की आदत डालनी चाहिए उसे सभी चीजो को समझने में मदत करनी चाहिए
निष्कर्ष
आशा करते है की आपको ऑटिज्म क्या है इसके बारे में पता चल गया होगा और अब आपको इसे जुडी कोई समस्या नही होगी अगर आपके बच्चे में ऑटिज्म के लक्ष्ण दिखाई देते है तो आप डॉक्टर की सलाह ले और बच्चे को सभी चीजे समझने में मदत करे ताकि ऑटिज्म को रोका जा सके
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जानिए कुछ सवालों के जवाब
Q . क्या ऑटिज्म की बिमारी का इलाज किया जा सकता है ?
ans . ऑटिज्म बीमारी का इलाज अभी तक संभव नहीं है परन्तु इसे कम व रोका जा सकता है |
Q . ऑटिज्म के लक्ष्ण कब से दिखाई देने लगते है ?
ans . ऑटिज्म के लक्ष्ण मुख्या पैदा होने के बाद से ही दिखाई देने लगते है और उन लक्षणों की पहचान की जा सकती है |
Q . ऑटिज्म के मुख्या कारक क्या होते है ?
ans . ऑटिज्म का पहला कारक लिंग होता है यह लडको में अधिक देखा गया है , अगर परिवार में पहले से किसी को ऑटिज्म है , समय से पहले बच्चा पैदा हुआ हो , अधिक आयु में बच्चे को जन्म देने से ऑटिज्म का खतरा रहता है |
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