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बवासीर आज के समय में अधिकतर लोगो को है और यह आम समस्या हो गई है इसलिए आज हम बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज के बारे में आपको बताएगे जिसे आपको मदत मिलेगी

बवासीर को piles / haemorroids भी कहते है और आयुर्वेद के अनुसार बवासीर को अर्थ कहते है हमारे शरीर के अन्दर एक निचे ग्रंथि होती है जिसे एनेस कहते है और उसके उपर रेक्टम होता है

रेक्टम को मलाशय भी कहते है और यह मल को इकठ्ठा करती है और एनेस के अंदर छोटे छोटे 3 टिसू होते है जिसमे खून की नशे होती है इन टिसू में किसी प्रकार की कोई स्पॉट नहीं होती है

इसलिए जब आपको कब्ज की समस्या होती है या आप मल को रोज त्याग नहीं करते है जिसके कारण मल हार्ड हो जाता है और आप अधिक जोर लगाते है मल को त्याग करने के लिए

तो मल त्याग में अधिक जोर लगाने से यह टिसू बड़े होने लगते है धीरे धीरे और इसके साथ ही इसमें पाए जाने वाली खून की नशे भी बड़ी होने लगती है धीरे धीरे और जो खून की नशे उपर खून ले जाती है

वह खून को उपर पास नहीं कर पाती है जिसके कारण जब आप मल त्याग करने के लिए अधिक जोर लगाते है तो इन नशों में से खून मल के साथ निकलने लगता है जिसे हम बवासीर कहते है

और आज के समय में बवासीर की समस्या 100 में से 50 लोगो को हो सकती है बवासीर होने के बहुत से अलग अलग कारण हो सकते है जो इस प्रकार है

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बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज और कारण

बवासीर होने के बहुत से कारण हो सकते है इसलिए आज हम कुछ कारणों के बारे में बात करेगे और कुछ उपचार के बारे में आपको बताएगे जो आपको निचे देखने को मिल जाएगे

बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज

(1) . कब्ज होने के कारण

बवासीर होने का सबसे बड़ा कारण होता है कब्ज का होना कब्ज होने के कारण मल हार्ड हो जाता है जिसे गुदा मार्ग पर दबाव पड़ने लगता है जिसके कारण गुदा मार्ग का मांश , शिराए , त्वचा छिल जाती है उसको नुक्सान पहुचता है और अधिक दबाव के कारण दर्द भी होता है और बवासीर की समस्या होती है

(2) . ज्यादा समय तक एक ही जगह पर बैठे रहे के कारण 

बवासीर की समस्या उन व्यक्ति को ज्यादा होती है जो एक ही जगह पर बैठ कर अधिक समय तक काम करते है और खाते भी रहते है इसके कारण उनको कब्ज की समस्या भी हो जाती है एक ही जगह पर बैठे रहने के पाचन क्रिया सही कार्य नहीं करती है और कब्ज होती है और बवासीर की समस्या उत्पन हो जाती है

(3) . बार बार खाने के कारण

देखा गया है की जो व्यक्ति बार बार खाना खाते ही रहता है या कुछ ही घंटो में खाना खाता है तो उस व्यक्ति को भी बवासीर की समस्या बहुत जल्दी होती है बार बार खाना खाने से बार बार मल त्याग करना पड़ता है और खाना भी नहीं पचता है और दस्त जैसी समस्या होती है जिसके कारण बवासीर होती है

(4) . अधिक तीखे प्रदार्थ के सेवन के कारण

जैसा की आपको पता है की बवासीर के मरीज को कहाँ जाता है की अधिक तीखे प्रदार्थ का सेवन नहीं करना है क्युकी अधिक तीखे प्रदार्थ ही बवासीर का मुख्या कारण होता है अधिक तीखे प्रदार्थ का सेवन करने से पेट में जलन और दस्त की समस्या का कारण बन सकते है और दस्त के कारण बार बार मल त्याग करना पड़ता है जिसे बवासीर की समस्या उत्पन होती है

(5) . अधिक रुखा सुखा खाने के कारण

बहुत से एसे व्यक्ति है जो अधिक रुखा सुखा खाना खाते है अधिक रुखा सुखा खाने के कारण हमारा पेट उसे अछे से पचा नहीं पाता है और पाचन क्रिया धीरे हो जाती है जिसके कारण कब्ज जैसी समस्या होती है मल हार्ड होता है और अधिक जोर लगाने के कारण बवासीर जैसी समस्या उत्पन होती है

आपने उपर बवासीर होने के कुछ कारण देखे है परन्तु बवासीर होने का मुख्या कारण कब्ज है क्युकी कब्ज में मल त्याग के समय अधिक जोर लगता है जिसके कारण बवासीर होती है  

बवासीर के आयुर्वेदिक उपचार

बवासीर के आपको बहुत से उपचार देखने को मिल जाएगे परन्तु बवासीर के उपचार के समय आपको एक बात का ध्यान रखना है की आपको मल कैसा त्याग हो रहा है इसलिए बवासीर का इलाज भी मल त्याग के अनुसार ही किया जाता है

(1) . मल पतला होने पर

(2) . मल हार्ड होने पर

(3) . जोर लगाने के बाद मल त्याग होने पर

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(1) . मल पतला होने पर आयुर्वेदिक इलाज

मल पतला होने पर बवासीर का आयुर्वेदिक इलाज इस प्रकार है

(1) . हरड़ का चूर्ण और गुड़ से इलाज 

आपको हरड़ का चूर्ण लेना है सिर्फ 3 ग्राम और आपको पुराना गुड़ लेना है कम से कम 6 ग्राम उसके बाद आपको इन दोनों को मिलाकर एक मिश्रण तैयार कर लेना है और उस मिश्रण की आपको छोटी छोटी गोलियां तैयार कर लेनी है और आपको सुबह , दोपहर और रात में लेनी है गर्म पानी के साथ , 3 गोली सुबह , 3 दोपहर , 3 रात को

(2) . हरड़ , विडंग , इंद्रजव के छिलके से इलाज 

आपको हरड़ , विडंग , इंद्रजव का छिलका और चित्रकमूल का संभाग चूर्ण लेना है कम से कम 1 या 2 ग्राम की मात्रा में और आपको इसका सेवन दिन में 3 बार छाछ के साथ करना है

(2) . मल हार्ड होने पर आयुर्वेदिक इलाज

मल हार्ड होने पर बवासीर का आयुर्वेदिक इलाज इस प्रकार है

(1) . हरड़ के चूर्ण से इलाज 

आपको हरड़ का चूर्ण लेना है कम से कम 1 या 2 ग्राम की मात्रा में और इसका इस्तेमाल आपको दिन में 2 बार करना है आपको इसको गर्म पानी के साथ इस्तेमाल करना है

(2) . त्रिफला चूर्ण से इलाज 

आपको त्रिफला चूर्ण लेना है कम से कम 2 या 5 ग्राम की मात्रा में और आपको इसका सेवन सिर्फ रात को सोने से पहले गर्म पानी के साथ करना है

(3) . मक्खन और सेंधा नमक से इलाज 

आपको मक्खन न निकले छाछ को लेना है और उसमे सेंधा नमक डालना है और उसका सेवन करना है इसे बवासीर में आपको आराम मिलता है

(3) . जोर लगाने के बाद मल त्याग होने पर इलाज

जोर लगाने के बाद मल त्याग होने पर बवासीर का इलाज इस प्रकार है

(1) . इंद्रजव के छिलके से इलाज 

आपको इन्द्र्जव का छिलका लेना है और उसको घिसकर छाछ में डाल लेना है और उसका सेवन करना है दिन में 2 या 3 बार

(2) . अनार के छिलके से इलाज 

आपको अनार का छिलका लेना है और साथ में आपको इन्द्र्जव का छिलका लेना है और दोनों का आपको काढ़ा बना लेना है और आधे कप की मात्रा में सुबह और रात को लेना है

(3) . नागकेशर चूर्ण से इलाज 

आपको नागकेशर चूर्ण लेना है कम से कम 1-1 ग्राम की मात्रा में और इसे मक्खन में मिला लेना है और इसका सेवन आपको दिन में 2 या 3 बार करना है

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सभी प्रकार के बवासीर में किया जाने वाला आयुर्वेदिक इलाज

आपने उपर अलग अलग बवासीर में अलग अलग इलाज को जाना है अब हम आपको सभी प्रकार के बवासीर में इस्तेमाल होने वाले आयुर्वेदिक इलाज के बारे में बताएगे जो इस प्रकार है

(1) . त्रिफला गुग्गुल से बवासीर का इलाज

यह 250 मि.ग्रा की गोली होती है और आपको त्रिफला गुग्गुल की 2 या 3 गोलियां लेनी है और इसका सेवन पानी या घी के साथ करना है दिन में 3 या 4 बार

(2) . कूटजघन वटी से बवासीर का इलाज

आपको इसकी 2-2 गोलियां दिन में 3 या 4 बार लेनी है अगर मल चिपचिपा हो और बार बार हो रहा हो तो आप इसका इस्तेमाल जरुर करे

(3) . त्रिफला चूर्ण से बवासीर का इलाज

आपको त्रिफला चूर्ण कम से कम 2 या 5 ग्राम की मात्रा में लेना है और इसका सेवन आपको गर्म पानी के साथ रात को सोने से पहले करना है इसे आपको फायदा होगा

(4) . गंधर्व हरीतकी से बवासीर का इलाज

आपको गंधर्व हरीतकी कम से कम 1 ग्राम की मात्रा में लेना है और इसका सेवन आपको गर्म पानी के साथ रात को सोने से पहले करना है ( अगर रक्तज बवासीर हो या अंकुर बड़ा हो तो यह ना ले )

(5) . बाहुशाल गुड़ से बवासीर का इलाज

आपको बाहुशाल गुड़ कम से कम 1 या 2 ग्राम की मात्रा में लेना है और इसका सेवन आपको दिन में 2 या 3 बार गर्म पानी के साथ करना है

(6) . बवासीर का एक अन्य इलाज

आपको एक चोडा बर्तन लेना है और बर्तन में त्रिफला चूर्ण और दशमुलो का काढ़ा बना कर उस पर बैठे और गुदामार्ग सेंके इसे अधिक लाभ होगा

उपर दिए गए सभी इलाज आप किसी भी बवासीर में कर सकते है 

बवासीर में क्या नहीं करना है

अगर आपको बवासीर है तो आपको निचे दी गई बातो का ध्यान रखना है जो इस प्रकार है

  • (1) . रात को जागना बिलकुल बंद कर दे इसे बवासीर की समस्या बढ़ सकती है
  • (2) . एक ही जगह पर अधिक समय तक बैठे न रहे
  • (3) . जोर लगाकर मल का त्याग करना बंद कर दे
  • (4) . बहुत अधिक चिंता करना बंद कर दे
  • (5) . तनाव से दूर रहे

निष्कर्ष

आशा करते है की आपको बवासीर के कारण और आयुर्वेदिक उपचार के बारे में पता चल गया होगा , अगर आपको बवासीर की समस्या है तो आप अपने डॉक्टर की सलाह ले और अच्छे से इलाज करवाए उसके बाद ही किसी घरेलू उपचार का इस्तेमाल करे और खान पान पर विशेष ध्यान रखे

जानिए कुछ सवालो के जवाब

Q . बवासीर होने पर क्या खाए ?

ans . मक्खन के साथ छाछ का सेवन करे , सुरन की सब्जी , ज्वार की रोटी , पुराने चावल का भात , सभी प्रकार के फलो का सेवन करे |

Q . बवासीर होने पर क्या नहीं खाना है ?

ans . बवासीर में अधिक तीखे , नमकीन , दही , इडली , चाय , कॉफ़ी , तुअर दाल , अंडे , मांश , अचार , पापड़ का सेवन ना करे |

सन्दर्भ

https://hi.wikipedia.org/wiki/बवासीर

https://www.nhs.uk/conditions/piles-haemorrhoids/

https://www.bupa.co.uk/health-information/digestive-gut-health/haemorrhoids

https://www.nhsinform.scot/illnesses-and-conditions/stomach-liver-and-gastrointestinal-tract/haemorrhoids-piles/

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