फ्यूल इंजेक्टर क्या है आज हम आपको इसके बारे में पूरी जानकारी देंगे , फ्यूल इंजेक्टर का इस्तेमाल मुख्या रूप से पेट्रोल और डीजल गाडी दोनों में किया जाता है परन्तु डीजल गाडी के फ्यूल इंजेक्टर को जादा महत्व दिया जाता है |

क्युकी डीजल गाडी के फ्यूल इंजेक्टर में अधिक सिस्टम दिया होता है और इसमें समस्या भी अधिक आती है और इस के अलावा पेट्रोल गाडी के इंजेक्टर छोटे छोटे होते है और उनमे अधिक समस्या नहीं आती है |

फ्यूल इंजेक्टर हेड में लगे होते है प्रत्येक सिलेंडर के लिए 1 इंजेक्टर गाड़ी में जितने सिलेंडर होते है उतने ही इंजेक्टर होते है क्युकी इनका कार्य इंजन में पिस्टन के उपर फ्यूल को स्प्रे करना होता है |

अलग अलग गाडी में फ्यूल इंजेक्टर की जगह भी अलग होती है किसी गाडी में इंजेक्टर हेड के बीच में ही लगा होता है और किसी गाडी में इंजेक्टर हेड में आगे की तरफ से लगा होता है और किसी गाडी में पीछे की तरफ से लगा होता है |

फ्यूल इंजेक्टर क्या है 

फ्यूल इंजेक्टर का इस्तेमाल गाडी में इंजन के अन्दर पिस्टन के उपर फ्यूल को स्प्रे करने के लिए किया जाता है जिसे गाड़ी स्टार्ट होती है फ्यूल इंजेक्टर फ्यूल लाइन में सबसे लास्ट में लगा होता है |

सबसे पहले फ्यूल टैंक में एक मोटर होती है जिसे फ्यूल फ्यूल फ़िल्टर में जाता है फ़िल्टर से फ्यूल डीजल पंप में जाता है और वहा से कोमन रेल में जाता है और उसके बाद इंजेक्टर में जाता है |

और जब इंजन घुमने पर पिस्टन tdc टॉप पर आता है तो इंजेक्टर फ्यूल स्प्रे करता है जैसे जैसे पिस्टन टॉप पर आते है इंजेक्टर स्प्रे करता रहता है और सभी सिलेंडर में फ्यूल स्प्रे करता है |

कम्प्रेशन स्ट्रोक के अंत में एयर का प्रेशर अधिक बढ़ जाता है उस समय फ्यूल इंजेक्टर 120 bar से लेकर 200 bar तक के प्रेशर से फ्यूल का स्प्रे करता है और यही फ्यूल इंजेक्टर का कार्य है |

फ्यूल इंजेक्टर कैसे काम करता है 

फ्यूल इंजेक्टर दो तरह से कार्य करता है जो आपको निचे देखने को मिल जाएगा

.  पहला तरीका

इंजेक्टर में नोजल लगी रहती है जिसका छेद बहुत बारीक होता है और फ्यूल प्रेशर के साथ इसी नोज़ल में से निकलता है इसके उपर एक नोज़ल नीडल / स्पिंडल लगी होती है जो नोज़ल के बारीक छेद को बंद रखती है |

स्पिंडल को अछे तरीके से दबाकर रखने के लिए एक स्प्रिंग लगा होता है जिसे स्पिंडल पर दबाव रहे और नोज़ल का छेद बंद रह सके इस स्प्रिंग और नोज़ल को एडजस्ट करने के लिए स्प्रिंग के उपर बोल्ड लगा होता है |

फ्यूल के अन्दर आने के लिए एक छेद बना होता है जिसे इनलेट छेद कहते है और एक वापसी छेद होता है जिसे ओवर फ्लो फ्यूल निकल सके उसके बाद पुरे इंजेक्टर को फिट किया जाता है |

इंजेक्टर के अन्दर नोज़ल का छेद स्पिंडल और स्प्रिंग के द्वारा बंद होता है और जब डीजल पंप बहुत अधिक प्रेशर के द्वारा डीजल को फ्यूल इंजेक्टर में भेजता है तो फ्यूल इनलेट छेद से अंदर आता है |

जब अधिक प्रेशर से फ्यूल इंजेक्टर में आता है तो यह फ्यूल स्पिंडल पर दबाव बना देता है जिसे स्पिंडल नोज़ल के छेद से हट जाती है और फ्यूल नोज़ल के बारीक छेद से स्प्रे हो जाता है |

उसके बाद स्पिंडल दोबारा से नोज़ल के छेद को बंद कर देती है और जितना फ्यूल बचता है वह वापसी छेद के द्वारा फ्यूल टैंक में चला जाता है और दोबारा कार्य में आता है |

.  दूसरा तरीका

उपर हमने आपको इंजेक्टर कैसे काम करता है बताया है परन्तु यह एक सिगनल के द्वारा कार्य करता है तो जानते है की सिगनल के द्वारा इंजेक्टर किस प्रकार कार्य करता है |

कार में क्रैंक शाफ़्ट के उपर एक सेंसर लगता है जिसे क्रैंक सेंसर कहाँ जाता है और यह सेंसर इंजन की टाइमिंग का पता करता है जब पिस्टन टॉप पर आता है तो यह सेंसर ecu को सिगनल भेजता है |

और ecu को पिस्टन के टॉप पर आने का सिगनल देता है उसके बाद ecu फ्यूल इंजेक्टर को सिगनल भेजता है और इंजेक्टर फ्यूल स्प्रे करता है , इस प्रकार जैसे जैसे जिस सिलेंडर का पिस्टन टॉप पर आता है |

क्रैंक सेंसर ecu को सिगनल भेज इंजेक्टर को फ्यूल की सप्लाई करवाता है इस प्रकार इंजन में लगे सभी सेंसर ecu को सिगनल भेज कार्य करते है |

फ्यूल इंजेक्टर के कुछ कार्य 

फ्यूल इंजेक्टर अलग अलग कार्य करता है जो इस प्रकार है

.  फ्यूल को बारीक करके स्प्रे करना

फ्यूल इंजेक्टर का पहला कार्य होता है फ्यूल को बारीक करके स्प्रे करना क्युकी जब तक फ्यूल बारीक नहीं होगा तब तक फ्यूल सिलेंडर में सही नहीं जलेगा , इसलिए इंजेक्टर में लगी नोज़ल फ्यूल को बारीक करके सिलेंडर में स्प्रे करती है |

.  फ्यूल को अछे से फेलाना

फ्यूल इंजेक्टर का दूसरा कार्य है फ्यूल को सिलेंडर के अन्दर अछे से फेलाना इंजेक्टर की नोज़ल में चारो दिशा में बारीक बारीक छेद होते है जिसे जब फ्यूल स्प्रे होता है तो सिलेंडर के अन्दर अछे से फेलता है जिसे फ्यूल सही से जलता है |

.  फ्यूल को समय पर स्प्रे करना

फ्यूल इंजेक्टर का तीसरा कार्य है फ्यूल को समय पर स्प्रे करना फ्यूल इंजेक्टर एक ही समय पर स्प्रे नहीं करते है जिस सिलेंडर का पिस्टन टॉप पर आ जाता है उस सिलेंडर में फ्यूल इंजेक्टर स्प्रे करता है यह टाइमिंग फ्यूल इंजेक्टर बनाए रखता है |

फ्यूल इंजेक्टर के प्रकार 

फ्यूल इंजेक्टर अलग अलग प्रकार के होते है जो इस प्रकार है

.  सिंगल होल इंजेक्टर

इसे सिंगल होल इंजेक्टर इसलिए कहाँ जाता है क्युकी इस प्रकार के इंजेक्टर के नोज़ल में सिर्फ एक ही छेद होता है जिसे फ्यूल की सप्लाई होती है |

.  मल्टी होल इंजेक्टर

और इसे मल्टी होल इंजेक्टर इसलिए कहाँ जाता है क्युकी इस प्रकार के इंजेक्टर के नोज़ल में एक से अधिक छेद होते है जसी फ्यूल स्प्रे करता है इसमें 1 से लेकर 8 छेद होते है |

.  पिंटल इंजेक्टर

इस इंजेक्टर को पिंटल इंजेक्टर इसलिए कहाँ जाता है क्युकी इस इंजेक्टर की नोज़ल जादा लम्बी होती है जिस प्रकार एक पिन होती है इसलिए इसे पिंटल इंजेक्टर कहाँ जाता है |

.  पीटोक्स इंजेक्टर

पिन्टोक्स इंजेक्टर की नोज़ल भी पिन्टोक्स इंजेक्टर के नोज़ल जैसी लम्बी होती है परन्तु इसमें एक छोटा छेद होता है जिसे यह पिंटल इंजेक्टर से भिन्न मानी जाती है और इस छोटे छेद को औक्सिलरी होल कहते है |

फ्यूल इंजेक्टर की जांच कैसे होती है 

फ्यूल इंजेक्टर को मुख्या रूप से तीन जाचों के द्वारा चेक किया जाता है जो इस प्रकार है

.  इंजेक्टर प्रेशर जांच

इंजेक्टर प्रेशर जांच के द्वारा पता किया जाता है की इंजेक्टर सिलेंडर के अंदर कितने प्रेशर से फ्यूल स्प्रे कर रहा है अगर इंजेक्टर कम प्रेशर पर स्प्रे करता है तो इंजेक्टर के उपर लगे बोल्ड को टाईट करते है जिसे प्रेशर बढ़ जाता है और अगर अधिक प्रेशर के साथ स्प्रे करता है तो बोल्ड को ढीला कर दिया जाता है |

.  इंजेक्टर लीक ऑफ़ जांच

इंजेक्टर लीक ऑफ़ जांच में इंजेक्टर को मशीन के द्वारा चेक किया जाता है की इंजेक्टर में फ्यूल लीक की समस्या तो नहीं है इसके लिए इंजेक्टर में एक प्रेशर को बनाया जाता है और उस प्रेशर की 10 से 15 सेकंड तक जांच की जाती है की इंजेक्टर में फ्यूल की लीकेज है या नहीं अगर लिकेज होती है तो इंजेक्टर को बदल दिया जाता है |

.  इंजेक्टर स्प्रे जांच

इंजेक्टर स्प्रे जांच के द्वारा चेक किया जाता है की इंजेक्टर सही प्रकार से स्प्रे कर रहा है या नहीं इंजेक्टर को मशीन में लगाकर चेक किया जाता है की इंजेक्टर स्प्रे धार के रूप में कर रहा है या फुवारे के रूप में कर रहा है , इंजेक्टर का सप्रे फुवारे के रूप में होना चाहिए |

फ्यूल इंजेक्टर खराब होने के बाद के लक्ष्ण 

अगर किसी गाडी का इंजेक्टर खराब हो जाता है तो अलग अलग लक्ष्ण दिखाई देते है जो इस प्रकार है

.  चेक इंजन लाइट ऑन होगी

अगर आपकी गाडी के फ्यूल इंजेक्टर में समस्या होगी तो सबसे पहले एक वार्निंग लाइट मीटर में ऑन हो जाएगी जिसे हम चेक इंजन लाइट भी कहते है यह लाइट हमें बताती है की इंजेक्टर में समस्या हो गई है |

.  ओवर रेस होगी

इंजेक्टर में समस्या आने के बाद दूसरा लक्ष्ण जो देखने को मिलता है वह है ओवर रेस का हो जाना बहुत सी गाडी में देखा गया है की फ्यूल इंजेक्टर में समस्या होने के बाद गाडी की रेस बहुत अधिक बढ़ जाती है |

.  माइलेज कम हो जाएगी

फ्यूल इंजेक्टर में समस्या होने के बाद माइलेज भी कम हो जाती है क्युकी फ्यूल इंजेक्टर में समस्या के बाद मिसिंग और pickup जैसी समस्या उत्पन होती है जिसका असर माइलेज पर पड़ता है |

.  सफ़ेद धुएँ की समस्या होगी

फ्यूल इंजेक्टर में समस्या होने के बाद जब हम सुबह के समय गाडी को स्टार्ट करते है तो गाड़ी के साइलेंसर से 10 या 15 मिनट सफ़ेद धुआँ निकलता है |

.  हार्ड स्टार्टिंग हो जाएगी

जिस भी डीजल गाड़ी में फ्यूल इंजेक्टर में समस्या होती है उस गाडी में सबसे पहले हार्ड स्टार्टिंग की समस्या उत्पन होती है क्युकी इंजेक्टर में समस्या होने के कारण फ्यूल सही स्प्रे नहीं होता है जिसके कारण एयर और फ्यूल का मिक्सर खराब हो जाता है और गाड़ी में स्टार्टिंग की समस्या होती है |

.  pickup ड्राप हो जाएगी

फ्यूल इंजेक्टर में समस्या के बाद देखा गया है की pickup बहुत कम हो जाती है इसका मुख्या कारण होता है फ्यूल मिक्सर किसी भी गाडी को चलने के लिए सही फ्यूल और एयर की जरूरत होती है और जब फ्यूल इंजेक्टर में समस्या होती है तो एयर और फ्यूल का मिक्सर खराब हो जाता है जिसे pickup भी ड्राप हो जाती है |

. गाडी स्टार्ट नहीं होती है

जब फ्यूल इंजेक्टर बिलकुल ही खराब हो जाते है या उनमे बहुत अधिक वापसी हो जाती है तो गाडी स्टार्ट नहीं होती है बिलकुल ही बंद हो जाती है इसके लिए इंजेक्टर को रिपेयर करवाया जाता है |

.  आरपीएम कम जादा होंगे

फ्यूल इंजेक्टर में समस्या के बाद एक लक्ष्ण और देखने को मिलता है की गाडी का rpm एक जगह पर नहीं रहता है कभी जादा होता है तो कभी कम हो जाता है |

फ्यूल इंजेक्टर खराब होने के कारण 

फ्यूल इंजेक्टर खराब होने के कारण इस प्रकार है

.  डीजल का गन्दा होना

फ्यूल इंजेक्टर खराब होने का सबसे पहला कारण होता है डीजल का गन्दा होना जब गन्दा डीजल फ्यूल इंजेक्टर में जाता है तो इंजेक्टर चोक हो जाता है और खराब हो जाता है |

.  डीजल फ़िल्टर का चोक होना

फ्यूल इंजेक्टर के खराब होने का दूसरा बड़ा कारण होता है डीजल फ़िल्टर का गन्दा होना बहुत से व्यक्ति एसे है जो लम्बे समय तक डीजल फ़िल्टर को नही बदलवाते है जिसे डीजल फ़िल्टर का कचरा इंजेक्टर में जाता है और इंजेक्टर खराब होता है |

.  कम डीजल में गाडी चलाना

फ्यूल इंजेक्टर के खराब होने का एक बड़ा कारण होता है कम डीजल में गाडी को चलाना जब कम डीजल में गाडी को चलाते है तो फ्यूल मोटर डीजल के साथ टैंक में जमा कचरा भी उठा लेती है जिसे उस कचरे के छोटे छोटे कण डीजल पंप से होते हुए इंजेक्टर में जाते है और इंजेक्टर को चोक कर देते है |

फ्यूल इंजेक्टर के पार्ट 

फ्यूल इंजेक्टर के पार्ट इस प्रकार है

.  फ़िल्टर

.  गाइड रिंग

.  स्पेसर

.  कोर

.  स्प्रिंग

.  पोल स्पिएस

.  सोलेनोइड coil

.  सोलेनोइड बॉडी

.  स्प्रे टिप

.  डायरेक्टर

ये सभी पार्ट फ्यूल इंजेक्टर में पाए जाते है | 

निष्कर्ष 

आशा करते है की आपको फ्यूल इंजेक्टर क्या है और यह कैसे काम करता है इसके बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी इसे आपको मदत मिलेगी अगर आपको फ्यूल इंजेक्टर से जुडी कोई समस्या है तो आप कमेंट करे जिसे हम आपकी पूरी मदत कर सके हमारी पूरी कोशिस है की आपको सही जानकारी दे सके |

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जानिए कुछ सवालों के जवाब 

Q . फ्यूल इंजेक्टर को रिपेयर करवाने में कितना खर्चा आता है ?

ans . सभी फ्यूल इंजेक्टर को रिपेयर करवाने में कम से कम 8 हजार से लेकर 10 हजार का खर्चा लग जाता है |

Q . क्या एक साथ सभी इंजेक्टर को रिपेयर करवाना पड़ता है ?

ans . वेसे तो जो इंजेक्टर खराब होता है उसे रिपेयर किया जा सकता है परन्तु एक साथ सभी को रिपेयर करवाना सही होता है |

Q . इंजेक्टर खराब होने पर सबसे जादा क्या समस्या होती है ?

. इंजेक्टर खराब होने के बाद सबसे जादा स्मोक और स्टार्टिंग की समस्या होती है |

Q . फ्यूल इंजेक्टर को सिगनल कहाँ से प्राप्त होता है ?

ans . पहले क्रैंक सेंसर ecm को सिगनल भेजता है उसके बाद ecm इंजेक्टर को सिगनल भेजता है जिसे इंजेक्टर स्प्रे करता है |