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चिंता क्या है (what is worry in hindi) सुने में तो यह बहुत छोटा सा word है परन्तु बहुत से लोग एसे है जो इस समस्या से बहुत परेशान है इसलिए आज हम चिंता के बारे में आपको पूरी जानकारी देंगे

चिंता वैसे तो सबको होती है सभी के पास चिंता करने की कोई न कोई वजह होती है परन्तु वह चिंता खत्म भी हो जाती है परन्तु कुछ लोग एसे है जो बहुत अधिक चिंता करते है जिसके कारण उन्हें समस्या होती है

आपने खुद देखा होगा की कुछ व्यक्ति बहुत ज्यादा सोचने लग जाते है चिंता करते है आने वाले समय को लेकर वह पहले से ही अपने मन में धारणा बना लेते है जिसके कारण वह बहुत परेशान रहते है

चिंता अलग अलग तरह की होती है एक चिंता जो हमे होती है और खत्म हो जाती है और एक चिंता जो हमेशा बनी रहती है और हमें परेशान करती है जानते है चिंता क्या है इसके कारण , लक्ष्ण आदि के बारे में

चिंता क्या है – what is worry in hindi

चिंता क्या है

चिंता की समस्या को generalized anxiety disorder (gad) भी कहाँ जाता है और यह आज के समय में अधिकतर लोगो को है और उन्हें खुद पता नहीं चलता की उन्हें चिंता की समस्या है

चिंता की समस्या एक एसी समस्या है की हमे छोटी छोटी बातो की चिंता होती है हमारे जो पुरे दिन के छोटे छोटे काम होते है उनको लेकर हमें चिंता होती है हमारे मन में डर बना रहता है

आमतोर पर जिन लोगो को चिंता की बीमारी होती है वह छोटी छोटी बातो पर ज्यादा सोचते है अगर किसी बच्चे की बात करे तो वह सोचता है में exam में पास हो पाउगा या नहीं स्कूल टाइम से पहुच पाउगा या नहीं

कल क्या होगा , टेस्ट पास कर पाउगा या नहीं , अगर किसी महिला की बात करे तो उसे चिंता होती है कल पानी आएगा या नहीं , बच्चा बाहर जाता है तो ज्यादा चिंता करना

अपने मन में ही सोचना की वह मुझसे खुस नहीं है दुसरे मुझे पसंद नहीं करते है यह हमारे रोज के छोटे छोटे कार्य होते है अगर कोई व्यक्ति इन सभी बातो की ज्यादा चिंता करता है

रोज के छोटे छोटे काम के बार में ज्यादा सोचने लगते है हम परेशान रहते है तो इसी को हम चिंता की समस्या कहते है जिनको चिंता की समस्या होती है उन्हें खुद भी नहीं पता चल पाता है

जिन व्यक्ति में चिंता की समस्या होती है उनको बैचेनी , घबराहट हमेशा बनी रहती है वह व्यक्ति हमेशा परेशान रहते है नींद नहीं आती है एसे में आपको डॉक्टर की सलाह लेना जरुरी है

चिंता क्यों होती है – why worry in hindi

चिंता की समस्या होने के मुख्या 2 कारण होते है जो इस प्रकार है

(1) . जैविक कारक (biological factors)

serotonin , norepinephrine , and gaba यह तीनो केमिकल होते है और चिंता की समस्या के होने के पीछे यह तीनो केमिकल जिमेदार होते है और इन तीनो केमिकल के अबनॉर्मलीटी के कारण ही चिंता के सभी लक्ष्ण दिखाई देते है और generalized anxiety disorder (gad) की समस्या होती है

(2) . मनोवैज्ञानिक कारक (psychology factors)

मनोवैज्ञानिक कारक के दोरान चिंता वाले व्यक्ति छोटी छोटी बातो से ज्यादा परेशान होते है घबराहट होती है इसके दोरान एसा देखा गया है की जिन व्यक्ति को generalized anxiety disorder (gad) होता है वह सभी होने वाली चीजो को गलत तरीके से देखते है वह हर कार्य को हर बात को negative लेकर चलते है और यही चिंता होने का मुख्या कारण भी होता है

चिंता के लक्ष्ण – symptoms of worry in hindi

जिन व्यक्ति में चिंता की समस्या होती है उनमे अलग अलग लक्ष्ण दिखाई देते है इस समस्या में मुख्या 3 लक्ष्ण दिखाई देते है

(1) . ज्यादा चिंता होना (excessive worries)

इसमें व्यक्ति उन कार्य उन बातो की अधिक चिंता करता है जो बाते और कार्य चिंता लायक नहीं होती है जिन्हें आम व्यक्ति आसानी से कर लेता है अगर छोटी छोटी बातो और कार्य की ज्यादा चिंता होती है तो उसे excessive worries कहते है

(2) . हमेशा घबराहट रहना (free floating anxiety)

दूसरा लक्ष्ण जो मुख्या देखा गया है वह है घबराहट जिन व्यक्ति को ज्यादा चिंता की समस्या होती है उस व्यक्ति को हर व्यक्त घबराहट रहती है छोटी छोटी बातो से कार्य से घबरा जाता है

(3) . शाररिक लक्ष्ण (physical symptoms)

ज्यादा चिंता के दोरान हमारे शरीर में कुछ लक्ष्ण दिखाई देते है

(1) . सिर में दर्द रहता है

(2) . गर्दन में दर्द

(3) . कमर में दर्द रहता है

(4) . नींद नही आती है

(5) . काम में मन नहीं लगता है

(6) . थकान रहती है

(7) . चेहरे के मसल्स में खिचाव रहता है

(8) . हमेशा बैचेनी रहती है

अगर किसी व्यक्ति को चिंता की समस्या है तो यह मुख्या लक्ष्ण दिखाई देते है

चिंता का इलाज – treatment in worry in hindi

चिंता का इलाज मुख्या रूप से दो तरीके से किया जाता है

(1) . चिकित्सा उपचार (medical treatment)

चिकित्सा उपचार के दोरान serotonin , norepinephrine , and gaba इन तीनो केमिकल के लेवल को सही किया जाता है जिसके लिए मेडिसिन दी जाती है शुरू में कम dose दी जाती है धीरे धीरे मेडिसिन की dose को बढाया जाता है

चिंता की समस्या में selective serotonin reuptake in hibitor (ssri) मेडिसिन दी जाती है जो आराम आराम से समस्या को ठीक करती है कम समय में आराम के लिए benzodiazepines मेडिसिन का इस्तेमाल किया जाता है और इनकी आदत लग सकती है इसके लिए इसका इस्तेमाल 1 या 2 महीने तक किया जाता है

(2) . व्यवहार चिकित्सा (behavior therapy)

behavior therapy के दोरान आपका इलाज किया जाता है साथ ही कुछ व्यायाम करने के सलाह दी जाती है जिसे घबराहट कम हो सके आपको आराम मिले जब चिंता के दोरान आपको गलत ख्याल आते है या आप छोटे छोटे कार्य को गलत तरीके से देखते है तो behavior therapy के दोरान इन सभी चीजो को सिखाया जाता है ताकि आप गलत चीजो को आराम से अछे से समझ सके की एसा कुछ नहीं है आपको बताया जाता है

चिंता की होम्योपैथिक मेडिसिन – homeopathic medicine for worry in hindi

अब हम आपको चिंता की homeopathic medicine के बारे में बताएगे जो इस प्रकार है

(1) . अल्फा टी एस (alpha ts)

alpha ts एक homeopathic medicine है जो तनाव और चिंता के लिए बहुत लाभकारी मेडिसिन है चिंता के लिए alpha ts मेडिसिन में अलग अलग homeopathic medicine मिली हुई है टेंशन , एन्जाईटी , नींद न आने की समस्या के लिए आप इसका सेवन कर सकते है इसके लिए आप एक चोथाई कप पानी ले उसमे alpha ts की 20 बुँदे डाले और सुबह दोपहर और शाम को खाना खाने से आधे या एक घंटा पहले ले , alpha ts कैसे ले

बिमारी :चिंता , तनाव , टेंशन , एन्जाईटी
मात्रा :20 बुँदे एक समय में
दिन में कितनी बार :दिन में 3 बार सुबह दोपहर और शाम
खाने से पहले या बाद में :खाने से आधे या एक घंटे पहले ले
किसके साथ ले :एक चोथाई कप पानी के साथ
सलाह :डॉक्टर की सलाह ले
समस्या के अनुसार dose को कम ज्यादा किया जा सकता है

चिंता करने से शरीर के किन अंगो पर प्रभाव पड़ता है – how worry affcts your body in hindi

अब जानते है की अगर आपको चिंता होती है तो आपके शरीर के किन किन अंगो पर गलत प्रभाव पड़ता है जो इस प्रकार है

(1) . हृदय पर प्रभाव पड़ता है

अगर आपको चिंता ज्यादा होती है आप हमेशा छोटी छोटी बातो पर चिंता करते है तो आपका blood preassure ज्यादा रहता है साथ ही हार्ट अटेक का खतरा बढ़ जाता है जब हमें अधिक चिंता होती है तो चिंता के हार्मोन बढ़ जाते है जिसे हृदय में समस्या होती है

(2) . नर्वस सिस्टम पर प्रभाव पड़ता है

अधिक चिंता करने से आपके नर्वस सिस्टम पर प्रभाव पड़ता है जब हम अधिक चितना करते है तो हमारा शरीर चिंता से जुड़े हार्मोन को बनाता है जिसे दिल की धडकन तेज होती है शुगर बढ़ जाता है ब्लड सर्कुलेशन हमेशा ज्यादा रहता है

(3) . मसल्स पर प्रभाव पड़ता है

जब भी आप बहुत ज्यादा चिंता करते है टेंशन में रहते है तो आपकी गर्दन और कंधे की मसल्स पर प्रभाव पड़ता है जिसे आपको सिर में दर्द , थकान जैसी समस्या होती है

(4) . ब्लड शुगर बढ़ जाता है

अगर आपको चिंता करने के आदत है और आप बहुत ज्यादा चिंता करते है तो आपका चिंता वाला हार्मोन बढ़ जाता है जिसे ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है जिसे आपको शुगर का खतरा बना रहता है

(5) . इम्यून सिस्टम पर प्रभाव पड़ता है

अगर आपको लगातार चिंता होती है टेंशन होती है घबराहट बनी रहती है तो उसके कारण आपका इम्यून सिस्टम खराब हो जाता है जिसके कारण आपके शरीर में बेक्टीरिया अंदर जाते है और आपको बुखार , सर्दी जुकाम जैसी समस्या हो जाती है

अगर आप बहुत ज्यादा चिंता करते है तो आपके शरीर में उओर बताई गई समस्या हो सकती है आपके शरीर के अंगो पर गलत प्रभाव पड़ता है इसके साथ ही आपके सेक्सुअल हेल्थ पर भी बहुत बुरा असर पड़ता है इसलिए समय पर डॉक्टर की सलाह ले

निष्कर्ष

आशा करते है की आपको चिंता क्या है इसके बारे में पता चल गया होगा और अब आपको इसे जुडी कोई समस्या नहीं होगी आपको अगर लगता है की मुझे कई हफ्तों से चिंता है जो खत्म नहीं हो रही है तो आपको अपने आस पास के Psychiatrist से मिलना चाहिए तभी आप ठीक हो पाएगे कुछ लोगो को तो पता नहीं होता है की मुझे चिंता की बिमारी है इसलिए चिंता के लक्षणों को परखो फिर जांच करवाए

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जानिए कुछ सवालो के जवाब

Q . चिंता में आपको किस मेडिसिन का इस्तेमाल लम्बे समय तक नहीं करना है

ans . चिंता के दोरान आपको benzodiazepines जैसी मेडिसिन का इस्तेमाल 1 या 2 महीने से ज्यादा नहीं करना है क्युकी इन मेडिसिन की आदत लग सकती है |

Q . चिंता की इस समस्या को ठीक होने में कितना समय लगता है ?

ans . इसका ठीक होना आपकी समस्या के उपर निर्भर करता है अगर आपको सालो पुरानी चिंता की समस्या है तो आपको ठीक होने में 1 साल तक लग सकता है और अगर समस्या कम है तो कुछ महीने में समस्या ठीक हो जाती है |

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